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Wednesday, June 12, 2019

भूगोल-chapter-7.राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखाएँ परिवहन

7.राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखाएँ

परिवहन

परिवहन की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। परिवहन के द्वारा ही कच्चा माल कारखानों तक पहुँच पाता है और कारखानों से उत्पाद ग्राहकों तक पहुँच पाते हैं। किसी भी देश में उत्पादित होने वाली वस्तुओं और सेवाओं तथा उनके एक कोने से दूसरे कोने तक आवागमन पर उस देश के विकास की दर निर्भर करती है। इसलिये कुशल परिवहन किसी देश में तेज विकास के लिये बहुत मत्वपूर्ण हो जाता है। परिवहन के अलावा, संचार की सहूलियत का भी महत्व होता है। टेलिफोन तथा इंटरनेट से संचार सुलभ हो जाता है।
भारत आज दुनिया के बाकी हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास में रेल, सड़क परिवहन, हवाई यातायात, अखबार, रेडियो, टेलिविजन, सिनेमा, इंटरनेट, आदि का हमेशा से योगदान रहा है। स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से भारत की अर्थव्यवस्था को बल मिला है। मजबूत अर्थव्यवस्था ने हमारे जीवन को खुशहाल बनाया है।

सड़क परिवहन

भारत में सड़कों का जाल आज दुनिया के विशाल सड़क नेटवर्कों में से एक है। भारत में कुल 2.3 मिलियन किलोमीटर सड़क है। निर्माण और रखरखाव के मामले में रेल की तुलना में सड़कें बेहतर होती हैं। रेल परिवहन की तुलना में सड़क परिवहन का महत्व बढ़ रहा है। इसके कारण निम्नलिखित हैं:
  • रेल की तुलना में सड़कें बनाने की लागत कम पड़ती है।
  • सड़कें ऊबड़-खाबड़ और विछिन्न भूभागों पर भी बनाई जा सकती हैं।
  • सड़कों का निर्माण अधिक ढ़ाल वाले क्षेत्रों और पहाड़ियों पर भी आसानी से किया जा सकता है।
  • कम लोगों तथा कम सामान को छोटी दूरी तक पहुँचाने के लिये सड़क मार्ग से जाने में कम खर्चा पड़ता है।
  • सड़कों के कारण घर-घर तक सामान और सेवाएँ पहुँचाना संभव हो पाता है।
  • स‌ड़क परिवहन से परिवहण के अन्य साधनों तक कड़ी का काम किया जा सकता है।

भारत में सड़कों के प्रकार

भारत में सड़कों की क्षमता के आधार पर इन्हें छ: प्रकारों में बाँटा गया है:
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग: यह 6 लेन वाली महाराजमार्ग की सड़क परियोजना है जो दिल्ली-कोलकाता-चेन्नई-मुम्बई और दिल्ली को जोड़ती है। उत्तर दक्षिण कॉरिडोर श्रीनगर और कन्याकुमारी को आपस में जोड़ता है। पूर्व पश्चिम कॉरिडॉर सिलचर और पोरबंदर को आपस में जोड़ता है। इस सुपर हाइवे प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य है भारत के बड़े शहरों के बीच की दूरी को कम करना। इस परियोजना को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा कार्यरूप दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय राजमार्ग: राष्ट्रीय राजमार्ग भारत के सुदूर हिस्सों को आपस में जोड़ते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग देश की मुख्य सड़क प्रणाली बनाते हैं। इन्हें सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट द्वारा बनाया और मेंटेन किया जाता है।
राज्य राजमार्ग: राज्य राजमार्ग के तहत वो सड़कें आती हैं जो किसी भी राज्य की राजधानी को विभिन्न जिला मुख्यालयों से जोड़ती हैं। इन्हें स्टेट पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट द्वारा बनाया और मेंटेन किया जाता है।
जिला मार्ग: जिला मुख्यालय को जिले के अन्य भागों से जोड़ने वाली सड़कों को जिला मार्ग कहते हैं। इन सड़कों का निर्माण और रखरखाव जिला परिषद द्वारा किया जाता है।

अन्य सड़कें: ग्रामीण सड़कें इस श्रेणी में आती हैं। प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत इन सड़कों के निर्माण में तेजी आई है। इस योजना को इस उद्देश्य से शुरु किया गया था ताकि देश का हर गाँव पक्की सड़क से किसी मुख्य शहर से जुड़ सके।
सीमांत सड़कें: सीमा पर स्थित सड़कों को इस श्रेणी में रखा गया है। इनका निर्माण और रखरखाव बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा किया जाता है। इस संस्था का गठन 1960 में किया गया था ताकि सीमा पर स्थित पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में सामरिक महत्व की सड़कें बन सकें। सीमांत सड़कों ने दुर्गम इलाकों के लोगों का जीवन आसान बना दिया है।

सड़क घनत्व

प्रति 100 वर्ग किमी में उपलब्ध सड़क की लंबाई को सड़क घनत्व कहते हैं। हमारे देश में हर तरह की भौगोलिक संरचना पाई जाती है। इसलिये यहाँ सड़कों का फैलाव एक जैसा नहीं है। एक ओर जम्मू कश्मीर में सड़क घनत्व 10 किमी प्रति वर्ग किमी है तो दूसरी ओर केरल में यह आँकड़ा 375 किमी है। 1996 – 97 के आँकड़ों के अनुसार पूरे देश का सड़क घनत्व 75 किमी है।
आज भी भारत में सड़क परिवहन यहाँ कि जरूरतों को पूरा करने के लिये काफी नहीं है। विशाल जनसंख्या के हिसाब से सड़कों का जाल काफी नहीं है। आधे से अधिक सड़कें कच्ची हैं। शहरों में तंग और भीड़-भाड़ भरी सड़कें हैं। अधिकतर पुल और पुलिया पुराने हो गये हैं और संकरे हैं।

रेल परिवहन

हमारे देश में लोगों और माल ढ़ुलाई के लिये रेल ही मुख्य साधन है। रेल से लंबी दूरी तक माल ढ़ुलाई आसानी से होती है। रेल ने व्यवसाय, पर्यटन, तीर्थयात्रा को भी बढ़ावा दिया है। रेल भारत के लोगों की आर्थिक जिंदगी को एक धागे में पिरोने का काम करता है। यह कृषि और उद्योग के विकास में भी मददगार साबित हुआ है।
भारतीय रेल देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक सेक्टर का उपक्रम है। भारत में पहली रेल मुम्बई से ठाणे के बीच 1853 में चली थी।

रेल नेटवर्क: भारतीय रेल तंत्र में 7,031 स्टेशन हैं जो 63,221 किमी के लंबे जाल में फैले हुए हैं। 31 मार्च 2004 के आँकड़ों के अनुसार भारतीय रेल के पास 7817 इंजन, 5321 पैसेंजर सेवा वाहन, 4,904 अन्य कोच वाहन और 228,170 वैगन हैं।
भारतीय रेल मार्ग
रेल गॉज (मीटर में)रूट (किमी)वहन मार्ग (किमी)कुल मार्ग
बड़ी लाइन (1.676)46,80766,75488,547
मीटर लाइन (1)13,20913,97616,489
छोटी लाइन (0.762 और 0.6103,1243,1293,450

रेल का विकास:

भारतीय रेल को 16 जोन में बाँटा गया है। भारत में रेल का विकास यहाँ की भौगोलिक, आर्थिक और प्रशासनिक परिस्थितियों के प्रभाव में हुआ है।
उत्तर भारत के मैदानों की समतल जमीन, अत्यधिक जनसंख्या घनत्व और कृषि संसाधनों की प्रचुरता ने रेल के विकास के लिये अनुकूल स्थिति प्रदान की। इस इलाके में चौड़ी नदियों की भरमार भी है। इसलिये यहाँ पुल बनाने की चुनौतियाँ भी आईं।
पहाड़ी इलाकों ने नीची पहाड़ियों और सुरंगों से होकर रेल लाइनें बिछाई गईं। हिमालय के पहाड़ों में दुर्गम क्षेत्र, कम जनसंख्या और आर्थिक अवसरों की कमी है। इसलिये इस क्षेत्र में रेल लाइन बिछाना संभव नहीं हो पाया है।
राजस्थान के रेगिस्तान, गुजरात के दलदली भाग, तथा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और झारखंड के जंगलों में रेल लाइन बिछाना संभव नहीं हो पाया है। सहयाद्रि के क्षेत्र को घाटों या दर्रों से होकर पार करना ही संभव था। हाल के वर्षों में सहयाद्रि क्षेत्र में कोंकण रेलवे का निर्माण हुआ है। इससे इस क्षेत्र में यात्रियों के आवागमन और माल ढ़ुलाई में बहुत सुविधा हुई है।
आज परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में रेल का महत्व भारत की अर्थव्यवस्था के लिये अधिक बढ़ गया है। लेकिन रेल परिवहन की अपनी कई समस्याएँ हैं। अभी भी कई यात्री बिना टिकट यात्रा करते हैं। रेल संपत्ति को नुकसान और चोरी एक गंभीर समस्या है। कई लोग बिना कारण के जंजीर खींचकर ट्रेन को रोक देते हैं। इन सबसे रेलवे को भारी नुकसान होता है।

पाइपलाइन

कुछ वर्षों पहले तक पाइपलाइन का उपयोग केवल पानी की सप्लाई के लिये किया जाता है। अब पाइपलाइन का उपयोग कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद और प्राकृतिक गैस की सप्लाई के लिये भी होने लगा है। कुछ ठोस पदार्थों को स्लरी के रूप में पाइपलाइन से सप्लाई किया जाता है। बरौनी, मथुरा और पानीपत जैसे स्थानों पर तेल रिफाइनरी का निर्माण पाइपलाइन के कारण ही संभव हो पाया। अज गैस पर आधारित उर्वरक प्लांट पाइपलाइन के कारण ही बन पाये हैं। पाइपलाइन को बिछाने में बहुत अधिक खर्च आता है। लेकिन पाइपलाइन को चलाने में कम से कम खर्चा आता है। इससे परिवहन में होने वाली देरी और नुकसान से भी बचा जा सकता है।
भारत में पाइपलाइन के तीन मुख्य नेटवर्क हैं:
  • ऊपरी असम से गुवाहाटी होते हुए कानपुर, बरौनी और इलाहाबाद तक। इसकी बरौनी से राजबंध होते हुए हल्दिया तक, राजबंध से मौरीग्राम तक, और गुवाहाटी से सिलिगुड़ी तक शाखाएँ भी हैं।
  • गुजरात के सलाया से वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली और सोनीपत से होते हुए पंजाब के जलंधर तक। इसकी शाखाएँ कोयली और चक्शु तक जाती हैं।
  • गुजरात के हजीरा से निकलने वाली गैस पाइपलाइन मध्य प्रदेश के विजयपुर से होते हुए उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर को जोड़ती है। इसकी शाखाएँ राजस्थान के कोटा और उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर, बबराला और अन्य स्थानों तक जाती हैं।

जल परिवहन

यह परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। जल परिवहन भारी और विशाल सामान को ले जाने के लिये अत्यंत उपयुक्त है। इसमें ईंधन की कम खपत होती है और यह पर्यावरण हितैषी भी है। भारत में अंत: स्थलीय नौचालन मार्ग 14,500 किमी लंबा है। लेकिन इसमें से केवल 3,700 किमी मोटरचालित बोट के लायक हैं।
निम्नलिखित जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है:
  • इलाहाबाद और हल्दिया के बीच की गंगा का मार्ग (1620 किमी): नौगम्य जलमार्ग संख्या 1
  • सदिया और धुबरी के बीच ब्रह्मपुत्र का मार्ग (891 किमी): नौगम्य जलमार्ग संख्या 2
  • केरल का पश्चिम तटीय नहर ((कोट्टापुरमा से कोम्मान तक, उद्योगमंडल और चम्पक्कारा नहरें: 205 किमी): नौगम्य जलमार्ग संख्या 3
  • गोदावरी, कृष्णा, सुंदरबन, बराक, बकिंघम कैनाल, ब्राह्मणी, पूर्व-पश्चिम नहर और दामोदर घाटी नहर का नाम अन्य सक्षम जलमार्गों की श्रेणी में आता है।

प्रमुख समुद्री पत्तन

भारत की तटरेखा 7,516.6 किमी लंबी है। इसमें 12 प्रमुख और 181 मध्यम और छोटे पत्तन हैं। देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 95% प्रमुख पत्तनों से संचालित होता है। विभाजन के बाद कराची पत्तन भारत के पास से निकल गया। इसलिए मुम्बई के प्त्तन पर लोड हटाना जरूरी हो गया था। इसलिये आजादी के तुरंत बाद कच्छ में कांडला के पत्तन को विकसित किया गया। कांडला का पत्तन एक ज्वारीय पत्तन है। यह जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के औद्योगित और खाद्यान्न निर्यात और आयात को सुचारू तरीके से संचालित करता है।
मुंबई एक विशाल पत्तन है जहाँ प्राकृतिक रूप से खुले और बड़े हार्बर हैं। मुम्बई के पत्तन पर से भीड़ कम करने के लिए पास में ही जवाहरलाल नेहरू पत्तन का निर्माण किया गया। गोवा का मारमागाओ पत्तन लौह अयस्क के निर्यात के लिए एक अग्रणी पत्तन है। इस पत्तन से भारत के लौह अयस्क के निर्यात का 50% हिस्सा संचालित होता है।
कर्नाटक के न्यू मंगलोर पत्तन से कुद्रेमुख की खानों से निकलने वाला लौह अयस्क निर्यात होता है। कोची का पत्तन सुदूर दक्षिण पश्चिम में है जो लैगून के मुहाने पर स्थित है और जहाँ प्राकृतिक हार्बर है।
पूर्वी तट पर तामिलनाडु का तूतीकोरन पत्तन है। यहाँ एक प्राकृतिक हार्बर है और आस पास के इलाके समृद्ध हैं। इसलिये यहाँ से श्रीलंका, मालदीव और भारत के तटीय इलाकों के लिये विविध प्रकार के वस्तुओं का व्यापार संचालित होता है।
चेन्नई का पत्तन सबसे पुराने कृत्रिम पत्तनों में से एक है। व्यापार की मात्रा और माल ढ़ुलाई के मामले में इसका स्थान मुम्बई के बाद दूसरा है।
विशाखापत्तनम जमीन से घिरा हुआ, गहरा और सुरक्षित पत्तन है। इस पत्तन का निर्माण मूल रूप से लौह अयस्क के निर्यात के लिए किया गया था।
उड़ीसा का पारादीप पत्तन विशेषत: लौह अयस्क का निर्यात करता है।
कोलकाता में एक अंत:स्थलीय नदी पत्तन है। इस पत्तन से गंगा और ब्रह्मपुत्र के मैदानों का समृद्ध इलाका जुड़ा हुआ है। एक ज्वारीय पत्तन होने के कारण इस पत्तन में हुगली के तलछट के जमाव को नियमित रूप से साफ करना पड़ता है। कोलकाता के पत्तन पर से भीड़ हटाने के उद्देश्य से हल्दिया के पत्तन का निर्माण हुआ था।

वायु परिवहन

1953 में वायु परिवहन का राष्ट्रीकरण हुआ था। उससे पहले वायु परिवहण केवल निजी कंपनी के हाथों में था। भारत में अंतर्देशीय उड़ानों की सेवा एअर इंडिया, एलायंस एअर और कुछ निजी सेक्टर के एअरलाइन द्वारा सेवा प्रदान की जाती है। एअर इंडिया अंतर्राष्ट्रीय उड़ान की सेवा भी देती है। पवनहंस हेलिकॉप्टर लिमिटेड ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कमिशन को और उत्तरी और पूर्वोत्तर राज्यों के दुर्गम इलाकों के लिये हेलिकॉप्टर सेवा प्रदान करती है।
वायु परिवहन से दुर्गम इलाकों; जैसे ऊँचे पहाड़, कठिन रेगिस्तान, घने जंगल और दूर दराज के द्वीपों तक भी आसानी से पहुँचा जा सकता है।

संचार सेवाएँ

भारत में टेलिविजन, रेडियो, प्रेस, फिल्मों, टेलिफोन, आदि द्वारा निजी दूरसंचार और जनसंचार की सुविधा उपलब्ध है।
भारतीय डाक: भारतीय डाक सेवा का नेटवर्क दुनिया में सबसे बड़ा है। डाक से पार्सल और चिट्ठियाँ भेजी जाती हैं। कार्ड और लिफाफों को फर्स्ट क्लास मेल माना जाता है और उन्हें हवाई जहाज से भेजा जाता है। बुक पैकेट, अखबार और पत्रिकाओं को सेकंड क्लास मेल का दर्जा दिया जाता है। उन्हें भू परिवहन और जल परिवहन द्वारा भेजा जाता है। बड़े शहरों और महानगरों में तेजी से डाक पहुँचाने के लिए हाल ही में छ: चैनलों की शुरुआत की गई है। इन चैनलों के नाम हैं; राजधानी चैनल, मेट्रो चैनल, ग्रीन चैनल, बिजनेस चैनल, बल्क मेल चैनल और पीरियोडिकल चैनल।
टेलिफोन: भारत का टेलिफोन नेटवर्क एशिया के बड़े नेटवर्कों में से एक है। जमीनी स्तर से लेकर उँचे स्तर तक सूचना के प्रसारण को सुलभ बनाना जरूरी होता है। इसी उद्देश्य से सरकार ने देश के हर गाँव में 24 घंटे एसटीडी सुविधा देने का प्रावधान किया है। पूरे भारत में एसटीडी की कॉल की दरें एक समान हैं। यह सब स्पेस टेक्नॉलोजी और कम्युनिकेशन टेक्नॉलोजी में परस्पर तालमेल के कारण संभव हो पाया है।
मोबाइल टेलिफोन: भारत का मोबाइल नेटवर्क दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहा है। मोबाइल फोन ने भारत में बिजनेस करने के तरीके बदल दिये हैं। अब तो छोटे कारोबारी भी मोबाइल फोन से जुड़े होने के कारण बेहतर व्यवसाय कर पा रहे हैं।

जनसंचार: जनसंचार से लोगों का मनोरंजन करता है और उन्हें सरकार की योजनाओं और क्रियाकलापों के बारे में जानकारी देता है। रेडियो, टेलिविजन, अखबार, पत्रिका, किताब और फिल्म जनसंचार के साधन हैं। आकाशवाणी से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। ये कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं में होते हैं और पूरे भारत में फैले विविध प्रकार के लोगों तक पहुँचते हैं। भारत का राष्ट्रीय टेलिविजन चैनल; दूरदर्शन; विश्व के कुछ बड़े नेटवर्क में से एक है। दूरदर्शन पर मनोरंजन, शिक्षा, खेलकूद, आदि से संबंधित कई प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। इनके अलावा भारत में कई प्राइवेट टेलिविजन चैनल और रेडियो चैनल हैं।
समाचारपत्र: भारत में भारी संख्या में अखबार और पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं। भारत में लगभग 100 भाषाओं और बोलियों में अखबार निकलते हैं। हिंदी भाषा में सबसे अधिक अखबार प्रकाशित होते हैं। उसके बाद अंग्रेजी और उर्दू अखबारों का नम्बर आता है।
फिल्म: पूरे विश्व में भारत में सबसे ज्यादा फिल्में बनती हैं। भारत में फीचर फिल्म, लघु फिल्म और वृत्त चित्र बनते हैं। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन भारतीय और विदेशी फिल्मों को सर्टिफाई करने का काम करता है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

दो देशों के बीच के व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं। किसी भी देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से उस देश की समृद्धि का आकलन किया जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को देश की अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर भी माना जाता है।
निर्यात: जब सामान देश से बाहर व्यापार के लिये जाता है तो इसे निर्यात कहते हैं।
आयात: जब बाहर का सामान देश में व्यापार के लिये आता है तो इसे आयात कहते हैं।
व्यापार संतुलन: किसी भी देश के निर्यात और आयात में अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं। व्यापार संतुलन अनुकूल होने की स्थिति में आयात की तुलना में निर्यात अधिक होता है। व्यापार संतुलन प्रतिकूल होने की स्थिति में निर्यात की तुलना में आयात अधिक होता है।
भारत से निर्यात में वृद्धि दिखाने वाले सामान
सामाननिर्यात में शेअर
कृषि उत्पाद2.53%
खनिज9.12%
जवाहरात26.75%
रसायन24.45%
इंजीनियरिंग उत्पाद35.63%
पेट्रोलियम उत्पाद86.12%

Major Imports to India

भारत के मुख्य आयात
सामानआयात में शेअर
पेट्रोलियम और उत्पाद41.87%
मोती और कीमती पत्थर29.26%
अकार्बनिक रसायन29.39%
कोयला, कोक और ब्रिकेट94.17%
मशीन12.56%

एक समूह के तौर पर भारी वस्तुओं के आयात में वृद्धि हुई है और इसका शेअर कुल आयात का 39.09% है। इस समूह में उर्वरक (67.01%), अनाज (25.23%), खाद्य तेल (7.94%) और न्यूजप्रिंट (5.51%) आते हैं।
पिछले पंद्रह सालों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में जबरदस्त बदलाव आया है। अब वस्तुओं के आदान प्रदान की तुलना में सूचना, ज्ञान और प्रौद्योगिकी का आदान प्रदान अधिक बढ़ गया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आज भारत एक सॉफ्टवेअर महाशक्ति के रूप में जाना जाता है।

पर्यटन: एक व्यापार के रूप में

2003 की तुलना में 2004 में विदेशी पर्यटकों की संख्या में 23.5% की वृद्धि हुई थी। इससे विदेशी मुद्रा भंडार में 21,828 करोड़ रुपये आये। भारत में हर वर्ष 2.6 मिलियन विदेशी पर्यटक आते हैं। पर्यटन उद्योग में 15 मिलियन लोग सीधे तौर पर लगे हुए हैं।

पर्यटन से लाभ:

  • यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देता है।
  • यह स्थानीय हस्तकला और संस्कृति को बढ़ावा देता है।
  • पर्यटन के द्वारा दूसरे देशों के लोग हमारी संस्कृति और विरासत को समझ पाते हैं।

NCERT Solution

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न:1 निम्न में से कौन से दो दूरस्थ स्थित स्थान पूर्वी पश्चिमी गलियारे से जुड़े हैं?
  • मुंबई तथा नागपुर
  • सिलचर तथा पोरबंदर
  • मुंबई और कोलकाता
  • नागपुर तथा सिलिगुड़ी
उत्तर: सिलचर तथा पोरबंदर
प्रश्न:2 निम्नलिखित में से परिवहन का कौन सा साधन वहनांतरण हानियों तथा देरी को घटाता है?
  • रेल परिवहन
  • सड़क परिवहन
  • पाइपलाइन
  • जल परिवहन
उत्तर: पाइपलाइन
प्रश्न:3 निम्न में से कौन सा राज्य हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइपलाइन से नहीं जुड़ा है?
  • मध्य प्रदेश
  • महाराष्ट्र
  • गुजरात
  • उत्तर प्रदेश
उत्तर: महाराष्ट्र
प्रश्न:4 इनमें से कौन सा पत्तन पूर्वी तट पर स्थित है जो अंत: स्थलीय तथा अधिकतम गहराई का पत्तन है तथा पूर्ण सुरक्षित है?
  • चेन्नई
  • पारादीप
  • तूतीकोरिन
  • विशाखापटनम
उत्तर: विशाखापटनम
प्रश्न:5 निम्न में से कौन सा परिवहन साधन भारत में प्रमुख साधन है?
  • पाइपलाइन
  • रेल परिवहन
  • सड़क परिवहन
  • वायु परिवहन
उत्तर: रेल परिवहन
प्रश्न:6 निम्न में से कौन सा शब्द दो या अधिक देशों के व्यापार को दर्शाता है?
  • आंतरिक व्यापार
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
  • बाहरी व्यापार
  • स्थानीय व्यापार
उत्तर: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न:1 सड़क परिवहन के तीन गुण बताएँ।
उत्तर: सड़क परिवहन के तीन गुण निम्नलिखित हैं:
  • रेल की तुलना में सड़कें बनाने की लागत कम पड़ती है।
  • सड़कें ऊबड़-खाबड़ और विछिन्न भूभागों पर भी बनाई जा सकती हैं।
  • सड़कों के कारण घर-घर तक सामान और सेवाएँ पहुँचाना संभव हो पाता है।
प्रश्न:2 रेल परिवहन कहाँ पर अत्यधिक सुविधाजनक परिवहन साधन है तथा क्यों?
उत्तर: रेल परिवहन पूरे देश के लिये परिवहन का सुविधाजनक साधन है। लम्बी दूरी की यात्रा और बड़ी मात्रा में माल ढ़ोने के लिए रेल परिवहन बहुत उपयुक्त साबित होता है। एक रेलगाड़ी से एक ही बार में हजारों लोगों और भारी मात्रा में सामान को ढ़ोया जा सकता है। इससे प्रति इकाई संवहन का खर्च भी कम आता है।
प्रश्न:3 सीमांत सड़कों का महत्व बताएँ।
उत्तर: भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों के दुर्गम इलाकों को जोड़ने में सीमांत सड़के अहम भूमिका निभाती हैं। सीमांत सड़कों का सामरिक महत्व भी होता है क्योंकि इनके द्वारा सैनिकों और आयुधों को जरूरत पड़ने पर सीमा तक पहुँचाया जाता है।
प्रश्न:4 व्यापार से आप क्या समझते हैं? स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर: दो या अधिक पक्षों के बीच के व्यावसायिक गतिविधियों को व्यापार कहते हैं। देश के अंदर होने वाले व्यापार को स्थानीय व्यापार कहते हैं। दो देशों के बीच के व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए

प्रश्न:1 परिवहन तथा संचार के साधन किसी देश की जीवन रेखा तथा अर्थव्यवस्था क्यों कहे जाते हैं?
उत्तर: परिवहन अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परिवहन के कारण ही कच्चा माल कारखानों तक पहुँच पाता है और उत्पाद ग्राहकों तक पहुँच पाते हैं। किसी भी देश के विकास की दर वहाँ उत्पादित होने वाली वस्तुओं और सेवाओं तथा एक कोने से दूसरे कोने तक उनके आवगमन पर निर्भर करती है। इसलिए तेज विकास के लिए कुशल परिवहन अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।
इसके अलावा, संचार की सहूलियत; जैसे टेलिफोन और इंटरनेट; से सूचना का आदान प्रदान सहजता से होता है।
स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ने भारत की अर्थव्यवस्था को जीवंत बना दिया है। इससे हमारा जीवन और भी सुखमय हो गया है और इससे जिंदगी जीने के लिये जरूरी सुख सुविधाओं का विकास हुआ है।
इन्हीं कारणों से परिवहन तथा संचार के साधन को किसी देश की जीवन रेखा तथा अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
प्रश्न:2 पिछले पंद्रह वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रवृत्ति पर एक लेख लिखें।
उत्तर: पिछले पंद्रह वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में निम्न बदलाव आए हैं:
एक समूह के रूप में भारी वस्तुओं के आयात में वृद्धि हुई है और यह कुल आयात का 39.09% हो गया है। इसमें उर्वरक (67.01%), अनाज (25.23%), खाद्य तेल (7.94%) और छपाई मशीनें (5.51%) शामिल हैं।
पिछले पंद्रह वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारी बदलाव हुए हैं। वस्तुओं के आदान प्रदान के मुकाबले सूचना और ज्ञान का आदान प्रदान बढ़ा है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत सॉफ्टवेअर की एक महाशक्ति के रूप में उभरा है और सूचना प्रौदिकी के निर्यात से विदेशी मुद्रा की आमदनी भी बढ़ी है।

NCERT Solution

प्रश्न:1 परिवहन की अर्थव्यवस्था में क्या भूमिका होती है?
उत्तर: परिवहन की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। परिवहन के द्वारा ही कच्चा माल कारखानों तक पहुँच पाता है और कारखानों से उत्पाद ग्राहकों तक पहुँच पाते हैं। किसी भी देश में उत्पादित होने वाली वस्तुओं और सेवाओं तथा उनके एक कोने से दूसरे कोने तक आवागमन पर उस देश के विकास की दर निर्भर करती है। इसलिये कुशल परिवहन किसी देश में तेज विकास के लिये बहुत मत्वपूर्ण हो जाता है।
प्रश्न:2 भारत में सड़कों के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर: भारत में सड़कों के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
  • स्वर्णिम चतुर्भुज मार्ग
  • राष्ट्रीय राजमार्ग
  • राज्य राजमार्ग
  • जिला मार्ग
  • अन्य सड़कें
  • सीमांत सड़कें
प्रश्न:3 राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: राष्ट्रीय राजमार्ग भारत के सुदूर हिस्सों को आपस में जोड़ते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग देश की मुख्य सड़क प्रणाली बनाते हैं। इन्हें सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट द्वारा बनाया और मेंटेन किया जाता है।

प्रश्न:4 पाइपलाइन से क्या क्या सप्लाई हो सकता है?
उत्तर: पानी, पेट्रोलियम उत्पाद, प्राकृतिक गैस, स्लरी
प्रश्न:5 जल परिवहन किस तरह से लाभदायक है?
उत्तर: यह परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। जल परिवहन भारी और विशाल सामान को ले जाने के लिये अत्यंत उपयुक्त है। इसमें ईंधन की कम खपत होती है और यह पर्यावरण हितैषी भी है।
प्रश्न:6 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को किसी देश की अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर माना जाता है। क्यों?
उत्तर: किसी भी देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से उस देश की समृद्धि का आकलन किया जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को देश की अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर भी माना जाता है।

प्रश्न:7 व्यापार संतुलन से क्या समझते हैं?
उत्तर: किसी भी देश के निर्यात और आयात में अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं। व्यापार संतुलन अनुकूल होने की स्थिति में आयात की तुलना में निर्यात अधिक होता है। व्यापार संतुलन प्रतिकूल होने की स्थिति में निर्यात की तुलना में आयात अधिक होता है।
प्रश्न:8 पर्यटन से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: पर्यटन से लाभ:
  • यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देता है।
  • यह स्थानीय हस्तकला और संस्कृति को बढ़ावा देता है।
  • पर्यटन के द्वारा दूसरे देशों के लोग हमारी संस्कृति और विरासत को समझ पाते हैं।
☆END☆

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