5.खनिज संसाधन
खनिज
प्राकृतिक रूप में उपलब्ध एक समरूप पदार्थ जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना होती है उसे खनिज कहते हैं।
खनिजों के प्रकार
खनिज तीन प्रकार के होते हैं; धात्विक, अधात्विक और ऊर्जा खनिज।
धात्विक खनिज:
लौह धातु: लौह अयस्क, मैगनीज, निकेल, कोबाल्ट, आदि।
अलौह धातु: तांबा, लेड, टिन, बॉक्साइट, आदि।
बहुमूल्य खनिज: सोना, चाँदी, प्लैटिनम, आदि।
अधात्विक खनिज: अभ्रक, लवण, पोटाश, सल्फर, ग्रेनाइट, चूना पत्थर, संगमरमर, बलुआ पत्थर, आदि।
ऊर्जा खनिज: कोल, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस।
खनिज के भंडार:
आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में: इस प्रकार की चट्टानों में खनिजों के छोटे जमाव शिराओं के रूप में पाये जाते हैं। इन चट्टानों में खनिजों के बड़े जमाव परत के रूप में पाये जाते हैं। जब खनिज पिघली हुई अवस्था या गैसीय अवस्था में होती है तो खनिजों का निर्माण आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में होता है। इस अवस्था में खनिज दरारों से होते हुए भूमि की ऊपरी सतह तक पहुँच जाते हैं। उदाहरण: टिन, जस्ता, लेड, आदि।
अवसादी चट्टानों में: इस प्रकार की चट्टानों में खनिज परतों में पाये जाते है। उदाहरण: कोयला, लौह अयस्क, जिप्सम, पोटाश लवण और सोडियम लवण, आदि।
धरातलीय चट्टानों के अपघटन के द्वारा: जब चट्टानों के घुलनशील अवयवों का अपरदन हो जाता है तो बचे हुए अपशिष्ट में खनिज रह जाता है। बॉक्साइट का निर्माण इसी तरह से होता है।
जलोढ़ जमाव के रूप में: इस तरह से बने हुए खनिज नदी के बहाव द्वारा लाये जाते हैं और जमा होते हैं। ऐसे खनिज रेतीली घाटी की तली में और पहाड़ियों के आधार में पाये जाते हैं। ऐसे में वो खनिज मिलते हैं जिनका अपरदन जल द्वारा नहीं होता है। उदाहरण: सोना, चाँदी, टिन, प्लैटिनम, आदि।
महासागर के जल में: समुद्र में पाये जाने वाले ज्यादातर खनिज इतने विरल होते हैं कि ये आर्थिक महत्व के नहीं होते हैं लेकिन समुद्र के जल से साधारण नमक, मैग्नीशियम और ब्रोमीन निकाला जाता है।
लौह अयस्क
अच्छी क्वालिटी के लौह अयस्क में लोहे की अच्छी मात्रा होती है। मैग्नेटाइट में 70% लोहा होता है इसलिए इसे सबसे अच्छी क्वालिटी का लौह अयस्क माना जाता है। अपने उत्तम चुम्बकीय गुण के कारण यह लोहा विद्युत उद्योग के लिये अच्छा माना जाता है। हेमाटाइट में 50 से 60% लोहा होता है। इसे मुख्य औद्योगिक लौह अयस्क माना जाता है।
भारत में लौह अयस्क के मुख्य बेल्ट
उड़ीसा झारखंड बेल्ट: उड़ीसा के मयूरभंज और केंदुझर जिले की बादामपहाड़ की खानों में हाई ग्रेड का हेमाटाइट अयस्क मिलता है। झारखंड के सिंहभूम जिले के गुआ और नोआमुंडी की खानों में भी हेमाटाइट अयस्क मिलता है।
दुर्ग बस्तर चंद्रपुर बेल्ट: यह बेल्ट छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पड़ता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले की बैलादिला पहाड़ियों में हाई ग्रेड का हेमाटाइट अयस्क मिलता है। इन पहाड़ियों में सुपर हाई ग्रेड हेमाटाइट अयस्क के 14 भंडार हैं। इन खानों के लोहे को विशाखापत्तनम के बंदरगाह से जापान और दक्षिण कोरिया तक निर्यात किया जाता है।
बेल्लारी चित्रदुर्ग चिकमगलूर बेल्ट: यह बेल्ट कर्णाटक में पड़ता है। पश्चिमी घाट में स्थित कुद्रेमुख की खानें शत प्रतिशत निर्यात के लिए उत्पादन करती है। यहाँ का लौह अयस्क स्लरी के रूप में पाइपलाइन के द्वारा मंगलोर के निकट के बंदरगाह तक भेजा जाता है।
महाराष्ट्र गोवा बेल्ट: इस बेल्ट में गोवा राज्य और महाराष्ट्र का रत्नागिरी जिला आता है। यहाँ के खानों के अयस्क अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं। इन अयस्कों को मारमागाओ पोर्ट से निर्यात किया जाता है।
मैगनीज
मैगनीज का इस्तेमाल मुख्य रूप से स्टील और फेरो-मैगनीज अयस्क के निर्माण में होता है। इसका इस्तेमाल ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशक और पेंट बनाने में भी होता है।
तांबा
तांबा एक महत्वपूर्ण अयस्क है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से बिजली के तार, इलेक्ट्रॉनिक और रसायन उद्योग में होता है। मध्यप्रदेश की बालाघाट की खानों में भारत का 52% तांबा निकलता है। 48% शेअर के साथ राजास्थान तांबे का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। तांबे का उत्पादन झारखंड के सिंहभूम जिले में भी होता है।
तांबा एक महत्वपूर्ण अयस्क है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से बिजली के तार, इलेक्ट्रॉनिक और रसायन उद्योग में होता है। मध्यप्रदेश की बालाघाट की खानों में भारत का 52% तांबा निकलता है। 48% शेअर के साथ राजास्थान तांबे का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। तांबे का उत्पादन झारखंड के सिंहभूम जिले में भी होता है।
अलमुनियम
अलमुनियम का इस्तेमाल कई चीजें बनाने में किया जाता है क्योंकि यह हल्का और मजबूत होता है। अलमुनियम के अयस्क को बॉक्साइट कहते हैं। बॉक्साइट के मुख्य भंडार अमरकंटक के पठार, मैकाल पहाड़ी और बिलासपुर कटनी के पठारी क्षेत्रों में हैं। बॉक्साइट का मुख्य उत्पादक उड़ीसा है जहाँ 45% बॉक्साइट का उत्पादन होता है। उड़ीसा में बॉक्साइट के मुख्य भंडार पंचपतमाली और कोरापुट जिले में हैं।
अलमुनियम का इस्तेमाल कई चीजें बनाने में किया जाता है क्योंकि यह हल्का और मजबूत होता है। अलमुनियम के अयस्क को बॉक्साइट कहते हैं। बॉक्साइट के मुख्य भंडार अमरकंटक के पठार, मैकाल पहाड़ी और बिलासपुर कटनी के पठारी क्षेत्रों में हैं। बॉक्साइट का मुख्य उत्पादक उड़ीसा है जहाँ 45% बॉक्साइट का उत्पादन होता है। उड़ीसा में बॉक्साइट के मुख्य भंडार पंचपतमाली और कोरापुट जिले में हैं।
अभ्रक
अभ्रक एक ऐसा खनिज है जो पतली प्लेटों के कई लेयर से बना होता है। कुछ ही सेंटीमीटर अभ्रक की शीट में हजारों प्लेटें हो सकती हैं। अभ्रक के पास उच्च डाई-इलेक्ट्रिक शक्ति, निम्न ऊर्जा ह्रास फैक्टर, इंसुलेशन प्रोपर्टी और हाई वोल्टेज से रेसिस्टेंस की शक्ति होती है। इसलिए अभ्रक को इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में इस्तेमाल किया जाता है।
अभ्रक के भंडार छोटानागपुर पठार के उत्तरी किनारों पर पाये जाते हैं। झारखंड का कोडरमा गया हजारीबाग बेल्ट अभ्रक का मुख्य उत्पादक है। अभ्रक का उत्पादन राजस्थान के अजमेर और आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में भी होता है।
अभ्रक एक ऐसा खनिज है जो पतली प्लेटों के कई लेयर से बना होता है। कुछ ही सेंटीमीटर अभ्रक की शीट में हजारों प्लेटें हो सकती हैं। अभ्रक के पास उच्च डाई-इलेक्ट्रिक शक्ति, निम्न ऊर्जा ह्रास फैक्टर, इंसुलेशन प्रोपर्टी और हाई वोल्टेज से रेसिस्टेंस की शक्ति होती है। इसलिए अभ्रक को इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में इस्तेमाल किया जाता है।
अभ्रक के भंडार छोटानागपुर पठार के उत्तरी किनारों पर पाये जाते हैं। झारखंड का कोडरमा गया हजारीबाग बेल्ट अभ्रक का मुख्य उत्पादक है। अभ्रक का उत्पादन राजस्थान के अजमेर और आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में भी होता है।
खनन के दुष्प्रभाव
खानों में काम करने वाले मजदूरों और आस पास रहेन वाले लोगों के लिये खनन एक घातक उद्योग है। खनिकों को कठिन परिस्थिति में काम करना पड़ता है। खान के अंदर नैसर्गित रोशनी नहीं मिल पाती है। खानों में हमेशा खान की छत गिरने, पानी भरने और आग लगने का खतरा रहता है। खान के आस पास के इलाकों में धूल की भारी समस्या होती है। खान से निकलने वाली स्लरी से सड़कों और खेतों को नुकसान पहुँचता है। इन इलाकों में घर और कपड़े ज्यादा जल्दी गंदे हो जाते हैं। खनिकों को सांस की बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। खनन वाले क्षेत्रों में सांस की बीमारी के केस अधिक होते हैं।
खानों में काम करने वाले मजदूरों और आस पास रहेन वाले लोगों के लिये खनन एक घातक उद्योग है। खनिकों को कठिन परिस्थिति में काम करना पड़ता है। खान के अंदर नैसर्गित रोशनी नहीं मिल पाती है। खानों में हमेशा खान की छत गिरने, पानी भरने और आग लगने का खतरा रहता है। खान के आस पास के इलाकों में धूल की भारी समस्या होती है। खान से निकलने वाली स्लरी से सड़कों और खेतों को नुकसान पहुँचता है। इन इलाकों में घर और कपड़े ज्यादा जल्दी गंदे हो जाते हैं। खनिकों को सांस की बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। खनन वाले क्षेत्रों में सांस की बीमारी के केस अधिक होते हैं।
खनिजों का संरक्षण
खनिजों के बनने में करोड़ों वर्ष लग जाते हैं। इसलिये खनिज अनवीकरण योग्य संसाधण की श्रेणी में आते हैं। जिस तेजी से हम खनिजों का इस्तेमाल कर रहे हैं उसकी तुलना में खनिजों का पुनर्रभरण की प्रक्रिया अत्यंत धीमी होती है। इसलिए खनिजों का संरक्षन महत्वपूर्ण हो जाता है।
खनिजों के बनने में करोड़ों वर्ष लग जाते हैं। इसलिये खनिज अनवीकरण योग्य संसाधण की श्रेणी में आते हैं। जिस तेजी से हम खनिजों का इस्तेमाल कर रहे हैं उसकी तुलना में खनिजों का पुनर्रभरण की प्रक्रिया अत्यंत धीमी होती है। इसलिए खनिजों का संरक्षन महत्वपूर्ण हो जाता है।
ऊर्जा संसाधन
परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: जलावन, उपले, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और बिजली।
गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायोगैस और परमाणु ऊर्जा।
जलावन और उपले: अनुमानित आंकड़े के अनुसार ग्रामीण घरों की ऊर्जा की जरूरत का 70% भाग जलाव और उपलों से पूरा होता है। जंगलों के तेजी से कटने के कारण जलावन की लकड़ियाँ मिलना पहले से मुश्किल होता जा रहा है। यदि गोबर का इस्तेमाल खाद बनाने में किया जाये तो वह उपले बनाने से अधिक लाभप्रद होगा। इसलिये यह जरूरी है कि उपलों का इस्तेमाल कम होना चाहिए।
परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: जलावन, उपले, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और बिजली।
गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायोगैस और परमाणु ऊर्जा।
जलावन और उपले: अनुमानित आंकड़े के अनुसार ग्रामीण घरों की ऊर्जा की जरूरत का 70% भाग जलाव और उपलों से पूरा होता है। जंगलों के तेजी से कटने के कारण जलावन की लकड़ियाँ मिलना पहले से मुश्किल होता जा रहा है। यदि गोबर का इस्तेमाल खाद बनाने में किया जाये तो वह उपले बनाने से अधिक लाभप्रद होगा। इसलिये यह जरूरी है कि उपलों का इस्तेमाल कम होना चाहिए।
कोयला:
भारत की वाणिज्यिक ऊर्जा जरूरतों के लिये कोयला सबसे महत्वपूर्ण है। संपीड़न की मात्रा, गहराई और समय के अनुसार कोयले के तीन प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित हैं।
लिग्नाइट: यह एक निम्न दर्जे का भूरा कोयला है। लिग्नाइट मुलायम होता है और इसमें अधिक नमी होती है। लिग्नाइट के मुख्य भंडार तमिल नाडु के नैवेली में हैं। इस प्रकार के कोयले का इस्तेमाल बिजली के उत्पादन में होता है।
बिटुमिनस कोयला: जो कोयला उच्च तापमान के कारण बना था और अधिक गहराई में दब गया था उसे बिटुमिनस कोयला कहते हैं। वाणिज्यिक इस्तेमाल के दृष्टिकोण से यह सबसे लोकप्रिय कोयला माना जाता है। बिटुमिनस कोयले को लोहा उद्योग के लिये आदर्श माना जाता है।
एंथ्रासाइट कोयला: यह सबसे अच्छे ग्रेड का और सख्त कोयला होता है।
भारत में पाया जाने वाला कोयला दो मुख्य भूगर्भी युगों की चट्टानों की परतों में मिलता है। गोंडवाना कोयले का निर्माण बीस करोड़ साल पहले हुआ था। टरशियरी निक्षेप के कोयले का निर्माण लगभग साढ़े पाँच करोड़ साल पहले हुआ था। गोंडवाना कोयले के मुख्य स्रोत दामोदर घाटी में हैं। इस बेल्ट में झरिया, रानीगंज और बोकारो में कोयले की मुख्य खदाने हैं। गोदावरी, महानदी, सोन और वर्धा की घाटियों में भी कोयले के भंडार हैं।
टरशियरी कोयला पूर्वोत्तर के मेघालय, असम, अरुणाचल और नागालैंड में पाया जाता है।
भारत की वाणिज्यिक ऊर्जा जरूरतों के लिये कोयला सबसे महत्वपूर्ण है। संपीड़न की मात्रा, गहराई और समय के अनुसार कोयले के तीन प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित हैं।
लिग्नाइट: यह एक निम्न दर्जे का भूरा कोयला है। लिग्नाइट मुलायम होता है और इसमें अधिक नमी होती है। लिग्नाइट के मुख्य भंडार तमिल नाडु के नैवेली में हैं। इस प्रकार के कोयले का इस्तेमाल बिजली के उत्पादन में होता है।
बिटुमिनस कोयला: जो कोयला उच्च तापमान के कारण बना था और अधिक गहराई में दब गया था उसे बिटुमिनस कोयला कहते हैं। वाणिज्यिक इस्तेमाल के दृष्टिकोण से यह सबसे लोकप्रिय कोयला माना जाता है। बिटुमिनस कोयले को लोहा उद्योग के लिये आदर्श माना जाता है।
एंथ्रासाइट कोयला: यह सबसे अच्छे ग्रेड का और सख्त कोयला होता है।
भारत में पाया जाने वाला कोयला दो मुख्य भूगर्भी युगों की चट्टानों की परतों में मिलता है। गोंडवाना कोयले का निर्माण बीस करोड़ साल पहले हुआ था। टरशियरी निक्षेप के कोयले का निर्माण लगभग साढ़े पाँच करोड़ साल पहले हुआ था। गोंडवाना कोयले के मुख्य स्रोत दामोदर घाटी में हैं। इस बेल्ट में झरिया, रानीगंज और बोकारो में कोयले की मुख्य खदाने हैं। गोदावरी, महानदी, सोन और वर्धा की घाटियों में भी कोयले के भंडार हैं।
टरशियरी कोयला पूर्वोत्तर के मेघालय, असम, अरुणाचल और नागालैंड में पाया जाता है।
पेट्रोलियम
कोयले के बाद, भारत का मुख्य ऊर्ज संसाधन है पेट्रोलियम। पेट्रोलियम का इस्तेमाल कई कार्यों में ऊर्जा के स्रोत के रूप में होता है। इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल कच्चे माल के रूप में कई उद्योगों में होता है। उदाहरण: प्लास्टिक, टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, आदि।
भारत में पाया जाने वाला पेट्रोलियम टरशियरी चट्टानों की अपनति और भ्रंश ट्रैप में पाया जाता है। चूना पत्थर या बलुआ पत्थर की सरंध्र परतों में तेल पाया जाता है जो बाहर भी बह सकता है। लेकिन बीच बीच में स्थित असरंध्र परतें इस तेल को रिसने से रोकती हैं। इसके अलावा सरंध्र और असरंध्र परतों के बीच बने फॉल्ट में भी पेट्रोलियम पाया जाता है। हल्की होने के कारण गैस सामान्यतया तेल के ऊपर पाई जाती है।
भारत का 63% पेट्रोलियम मुम्बई हाई से निकलता है। 18% गुजरात से और 13% असम से आता है। गुजरात का सबसे महत्वपूर्ण तेल का क्षेत्र अंकलेश्वर में है। भारत का सबसे पुराना पेट्रोलियम उत्पादक असम है। असम के मुख्य तेल के कुँए दिगबोई, नहरकटिया और मोरन-हुगरीजन में हैं।
कोयले के बाद, भारत का मुख्य ऊर्ज संसाधन है पेट्रोलियम। पेट्रोलियम का इस्तेमाल कई कार्यों में ऊर्जा के स्रोत के रूप में होता है। इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल कच्चे माल के रूप में कई उद्योगों में होता है। उदाहरण: प्लास्टिक, टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, आदि।
भारत में पाया जाने वाला पेट्रोलियम टरशियरी चट्टानों की अपनति और भ्रंश ट्रैप में पाया जाता है। चूना पत्थर या बलुआ पत्थर की सरंध्र परतों में तेल पाया जाता है जो बाहर भी बह सकता है। लेकिन बीच बीच में स्थित असरंध्र परतें इस तेल को रिसने से रोकती हैं। इसके अलावा सरंध्र और असरंध्र परतों के बीच बने फॉल्ट में भी पेट्रोलियम पाया जाता है। हल्की होने के कारण गैस सामान्यतया तेल के ऊपर पाई जाती है।
भारत का 63% पेट्रोलियम मुम्बई हाई से निकलता है। 18% गुजरात से और 13% असम से आता है। गुजरात का सबसे महत्वपूर्ण तेल का क्षेत्र अंकलेश्वर में है। भारत का सबसे पुराना पेट्रोलियम उत्पादक असम है। असम के मुख्य तेल के कुँए दिगबोई, नहरकटिया और मोरन-हुगरीजन में हैं।
प्राकृतिक गैस
प्राकृतिक गैस या तो पेट्रोलियम के साथ पाई जाती है या अकेले भी। इसका इस्तेमाल भी ईंधन और कच्चे माल के तौर पर होता है। कृष्णा गोदावरी बेसिन में प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार की खोज हुई है। खंभात की खाड़ी, मुम्बई हाई और अंदमान निकोबार में भी प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार हैं।
मुम्बई हाई और कृष्णा गोदावरी बेसिन को पश्चिमी और उत्तरी भारत के खाद, उर्वरक और औद्योगिक क्षेत्रों को एक 1700 किमी लम्बी हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइपलाइन जोड़ती है। प्राकृतिक गैस का मुख्य इस्तेमाल उर्वरक और बिजली उत्पादन में होता है। आजकल, सीएनजी का इस्तेमाल गाड़ियों के ईंधन के रूप में भी होने लगा है।
प्राकृतिक गैस या तो पेट्रोलियम के साथ पाई जाती है या अकेले भी। इसका इस्तेमाल भी ईंधन और कच्चे माल के तौर पर होता है। कृष्णा गोदावरी बेसिन में प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार की खोज हुई है। खंभात की खाड़ी, मुम्बई हाई और अंदमान निकोबार में भी प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार हैं।
मुम्बई हाई और कृष्णा गोदावरी बेसिन को पश्चिमी और उत्तरी भारत के खाद, उर्वरक और औद्योगिक क्षेत्रों को एक 1700 किमी लम्बी हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइपलाइन जोड़ती है। प्राकृतिक गैस का मुख्य इस्तेमाल उर्वरक और बिजली उत्पादन में होता है। आजकल, सीएनजी का इस्तेमाल गाड़ियों के ईंधन के रूप में भी होने लगा है।
बिजली
विद्युत का उत्पादन मुख्य रूप से दो तरीकों से होता है। एक तरीके में बहते पानी से टरबाइन चलाया जाता है। दूसरे तरीके में कोयला, पेट्रोलियम या प्राकृतिक गैस को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करके भाप बनाई जाती है जिससे टरबाइन चलाया जाता है। देश के मुख्य पनबिजली उत्पादक हैं भाखड़ा नांगल, दामोदर वैली कॉरपोरेशन, कोपिली हाइडेल प्रोजेक्ट, आदि। वर्तमान में भारत में 300 से अधिक थर्मल पावर स्टेशन हैं।
विद्युत का उत्पादन मुख्य रूप से दो तरीकों से होता है। एक तरीके में बहते पानी से टरबाइन चलाया जाता है। दूसरे तरीके में कोयला, पेट्रोलियम या प्राकृतिक गैस को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करके भाप बनाई जाती है जिससे टरबाइन चलाया जाता है। देश के मुख्य पनबिजली उत्पादक हैं भाखड़ा नांगल, दामोदर वैली कॉरपोरेशन, कोपिली हाइडेल प्रोजेक्ट, आदि। वर्तमान में भारत में 300 से अधिक थर्मल पावर स्टेशन हैं।
गैर परंपरागत ऊर्जा संसाधन
परमाणु ऊर्जा: परमाणु की संरचना में बदलाव करके परमाणु ऊर्जा प्राप्त की जाती है। जब किसी परमाणु की संरचना में बदलाव किया जाता है तो इससे बहुत भारी मात्रा में ताप ऊर्जा निकलती है। इस ऊर्जा का इस्तेमाल बिजली पैदा करने में किया जाता है। इस ऊर्जा से भाप बनाई जाती है जिससे टरबाइन चलाकर बिजली पैदा की जाती है। परमाणु ऊर्जा के निर्माण के लिए यूरेनियम और थोरियम को इस्तेमाल किया जाता है। ये खनिज झारखंड में और राजस्थान की अरावली पहाड़ियों में पाये जाते हैं। केरल में पाई जाने वाली मोनाजाइट रेत में भी थोरियम की प्रचुरता होती है।
सौर ऊर्जा: सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के लिए फोटोवोल्टाइक टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल होता है। भुज के निकट माधापुर में भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्लांट है। सौर ऊर्जा भविष्य के लिए नई उम्मीदें जगाता है। इससे ग्रामीण इलाकों में जलावन और उपलों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। इससे जीवाष्म ईंधन के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। सौर ऊर्जा पर्यावरण हितैषी है।
पवन ऊर्जा: भारत को अब विश्व में “पवन सुपर पावर” माना जाता है। तामिलनाडु में नगरकोइल से मदुरै तक के विंड फार्म भारत के सबसे बड़े विंड फार्म क्लस्टर हैं। पवन ऊर्जा के मामले में आंध्र प्रदेश, कर्णाटक, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र और तामिलनाडु भी अहम हैं।
बायोगैस: खरपतवार, कृषि अपशिष्ट और पशु और मानव अपशिष्ट से बायोगैस बनाई जा सकती है। केरोसीन, उपले और चारकोल की तुलना में बायोगैस ज्यादा कार्यकुशल है। बायोगैस प्लांट को म्यूनिसिपल, को-ऑपरेटिव और व्यक्तिगत स्तर पर भी बनाया जा सकता है। गोबर गैस प्लांट से ऊर्जा के साथ साथ खाद भी मिलती है।
ज्वारीय ऊर्जा: ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए बाँध बनाकर पानी के प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है। इसके लिए बने रास्ते से ज्वार के समय पानी बाँध के पीछे पहुँच जाता है और गेट के बंद होने से वहीं रुक जाता है। ज्वार के चले जाने के बाद गेट खोल दिया जाता है जिससे पानी वापस समुद्र की ओर जाने लगता है। पानी के बहाव से टरबाइन चलाये जाते हैं जिससे बिजली बनती है। नेशनल हाइड्रोपावर कॉरपोरेशन ने कच्छ की खाड़ी में 900 मेगावाट का एक ज्वारीय ऊर्जा प्लांट बनाया है।
भू-तापीय ऊर्जा: आपको पता होगा कि धरती के अंदर काफी गरमी होती है। कुछ स्थानों पर यह उष्मा दरारों से होकर सतह पर आ जाती है। ऐसे स्थानों का भूमिगत जल गर्म हो जाता है और भाप के रूप में ऊपर उठता है। इस भाप का इस्तेमाल टरबाइन चलाने में किया जाता है। भारत में प्रयोग के तौर पर भू-तापीय ऊर्जा से बिजली बनाने के दो संयंत्र लगाये गये हैं। उनमे से एक हिमाचल प्रदेश में मणिकरण के निकट पार्वती घाटी में है और दूसरा लद्दाख में पूगा घाटी में है।
परमाणु ऊर्जा: परमाणु की संरचना में बदलाव करके परमाणु ऊर्जा प्राप्त की जाती है। जब किसी परमाणु की संरचना में बदलाव किया जाता है तो इससे बहुत भारी मात्रा में ताप ऊर्जा निकलती है। इस ऊर्जा का इस्तेमाल बिजली पैदा करने में किया जाता है। इस ऊर्जा से भाप बनाई जाती है जिससे टरबाइन चलाकर बिजली पैदा की जाती है। परमाणु ऊर्जा के निर्माण के लिए यूरेनियम और थोरियम को इस्तेमाल किया जाता है। ये खनिज झारखंड में और राजस्थान की अरावली पहाड़ियों में पाये जाते हैं। केरल में पाई जाने वाली मोनाजाइट रेत में भी थोरियम की प्रचुरता होती है।
सौर ऊर्जा: सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के लिए फोटोवोल्टाइक टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल होता है। भुज के निकट माधापुर में भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्लांट है। सौर ऊर्जा भविष्य के लिए नई उम्मीदें जगाता है। इससे ग्रामीण इलाकों में जलावन और उपलों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। इससे जीवाष्म ईंधन के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। सौर ऊर्जा पर्यावरण हितैषी है।
पवन ऊर्जा: भारत को अब विश्व में “पवन सुपर पावर” माना जाता है। तामिलनाडु में नगरकोइल से मदुरै तक के विंड फार्म भारत के सबसे बड़े विंड फार्म क्लस्टर हैं। पवन ऊर्जा के मामले में आंध्र प्रदेश, कर्णाटक, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र और तामिलनाडु भी अहम हैं।
बायोगैस: खरपतवार, कृषि अपशिष्ट और पशु और मानव अपशिष्ट से बायोगैस बनाई जा सकती है। केरोसीन, उपले और चारकोल की तुलना में बायोगैस ज्यादा कार्यकुशल है। बायोगैस प्लांट को म्यूनिसिपल, को-ऑपरेटिव और व्यक्तिगत स्तर पर भी बनाया जा सकता है। गोबर गैस प्लांट से ऊर्जा के साथ साथ खाद भी मिलती है।
ज्वारीय ऊर्जा: ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए बाँध बनाकर पानी के प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है। इसके लिए बने रास्ते से ज्वार के समय पानी बाँध के पीछे पहुँच जाता है और गेट के बंद होने से वहीं रुक जाता है। ज्वार के चले जाने के बाद गेट खोल दिया जाता है जिससे पानी वापस समुद्र की ओर जाने लगता है। पानी के बहाव से टरबाइन चलाये जाते हैं जिससे बिजली बनती है। नेशनल हाइड्रोपावर कॉरपोरेशन ने कच्छ की खाड़ी में 900 मेगावाट का एक ज्वारीय ऊर्जा प्लांट बनाया है।
भू-तापीय ऊर्जा: आपको पता होगा कि धरती के अंदर काफी गरमी होती है। कुछ स्थानों पर यह उष्मा दरारों से होकर सतह पर आ जाती है। ऐसे स्थानों का भूमिगत जल गर्म हो जाता है और भाप के रूप में ऊपर उठता है। इस भाप का इस्तेमाल टरबाइन चलाने में किया जाता है। भारत में प्रयोग के तौर पर भू-तापीय ऊर्जा से बिजली बनाने के दो संयंत्र लगाये गये हैं। उनमे से एक हिमाचल प्रदेश में मणिकरण के निकट पार्वती घाटी में है और दूसरा लद्दाख में पूगा घाटी में है।
Extra Questions Answers
प्रश्न:1 खनिज की परिभाषा लिखिए।
उत्तर: प्राकृतिक रूप में उपलब्ध एक समरूप पदार्थ जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना होती है उसे खनिज कहते हैं।
प्रश्न:2 धात्विक खनिज से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: जिन खनिजों से धातु प्राप्त होती है उन्हें धात्विक खनिज कहते हैं; जैसे लौह अयस्क, बॉक्साइट, आदि।
प्रश्न:3 अधात्विक खनिज से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:जिन खनिजों से अधातु प्राप्त होते हैं उन्हें अधात्विक खनिज कहते हैं; जैसे अभ्रक, चूना पत्थर, आदि।
प्रश्न:4 आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में खनिज किस रूप में मौजूद रहते हैं?
उत्तर: आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में खनिजों के छोटे जमाव शिराओं के रूप में पाये जाते हैं। इन चट्टानों में खनिजों के बड़े जमाव परत के रूप में पाये जाते हैं। जब खनिज पिघली हुई अवस्था या गैसीय अवस्था में होती है तो खनिजों का निर्माण आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में होता है। इस अवस्था में खनिज दरारों से होते हुए भूमि की ऊपरी सतह तक पहुँच जाते हैं। उदाहरण: टिन, जस्ता, लेड, आदि।
प्रश्न:5 अवसादी चट्टानों में खनिज किस रूप में पाये जाते हैं?
उत्तर: इस प्रकार की चट्टानों में खनिज परतों में पाये जाते है। उदाहरण: कोयला, लौह अयस्क, जिप्सम, पोटाश लवण और सोडियम लवण, आदि।
प्रश्न:6 कुछ ऐसे खनिज के उदाहरण दें जो जलोढ़ जमाव के रूप में पाये जाते हैं।
उत्तर: सोना, चाँदी, टिन, प्लैटिनम, आदि।
प्रश्न:7 लौह अयस्क के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: अच्छी क्वालिटी के लौह अयस्क में लोहे की अच्छी मात्रा होती है। मैग्नेटाइट में 70% लोहा होता है इसलिए इसे सबसे अच्छी क्वालिटी का लौह अयस्क माना जाता है। अपने उत्तम चुम्बकीय गुण के कारण यह लोहा विद्युत उद्योग के लिये अच्छा माना जाता है। हेमाटाइट में 50 से 60% लोहा होता है। इसे मुख्य औद्योगिक लौह अयस्क माना जाता है।
प्रश्न:8 लौह अयस्क के मुख्य बेल्टों के नाम लिखिए।
उत्तर: भारत में लौह अयस्क के मुख्य बेल्ट निम्नलिखित हैं:
- उड़ीसा झारखंड बेल्ट
- दुर्ग बस्तर चंद्रपुर बेल्ट
- बेल्लारी चित्रदुर्ग चिकमगलूर बेल्ट
- महाराष्ट्र गोवा बेल्ट
प्रश्न:9 तांबा अयस्क पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: तांबा एक महत्वपूर्ण अयस्क है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से बिजली के तार, इलेक्ट्रॉनिक और रसायन उद्योग में होता है। मध्यप्रदेश की बालाघाट की खानों में भारत का 52% तांबा निकलता है। 48% शेअर के साथ राजास्थान तांबे का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। तांबे का उत्पादन झारखंड के सिंहभूम जिले में भी होता है।
प्रश्न:10 अलमुनियम अयस्क पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: अलमुनियम का इस्तेमाल कई चीजें बनाने में किया जाता है क्योंकि यह हल्का और मजबूत होता है। अलमुनियम के अयस्क को बॉक्साइट कहते हैं। बॉक्साइट के मुख्य भंडार अमरकंटक के पठार, मैकाल पहाड़ी और बिलासपुर कटनी के पठारी क्षेत्रों में हैं। बॉक्साइट का मुख्य उत्पादक उड़ीसा है जहाँ 45% बॉक्साइट का उत्पादन होता है। उड़ीसा में बॉक्साइट के मुख्य भंडार पंचपतमाली और कोरापुट जिले में हैं।
प्रश्न:11 खनन के दुष्प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर: खानों में काम करने वाले मजदूरों और आस पास रहेन वाले लोगों के लिये खनन एक घातक उद्योग है। खनिकों को कठिन परिस्थिति में काम करना पड़ता है। खान के अंदर नैसर्गित रोशनी नहीं मिल पाती है। खानों में हमेशा खान की छत गिरने, पानी भरने और आग लगने का खतरा रहता है। खान के आस पास के इलाकों में धूल की भारी समस्या होती है। खान से निकलने वाली स्लरी से सड़कों और खेतों को नुकसान पहुँचता है। इन इलाकों में घर और कपड़े ज्यादा जल्दी गंदे हो जाते हैं। खनिकों को सांस की बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। खनन वाले क्षेत्रों में सांस की बीमारी के केस अधिक होते हैं।
प्रश्न:12 बिटुमिनस कोयले पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: जो कोयला उच्च तापमान के कारण बना था और अधिक गहराई में दब गया था उसे बिटुमिनस कोयला कहते हैं। वाणिज्यिक इस्तेमाल के दृष्टिकोण से यह सबसे लोकप्रिय कोयला माना जाता है। बिटुमिनस कोयले को लोहा उद्योग के लिये आदर्श माना जाता है।
प्रश्न:13 पेट्रोलियम के क्या इस्तेमाल हैं?
उत्तर: कोयले के बाद, भारत का मुख्य ऊर्ज संसाधन है पेट्रोलियम। पेट्रोलियम का इस्तेमाल कई कार्यों में ऊर्जा के स्रोत के रूप में होता है। इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल कच्चे माल के रूप में कई उद्योगों में होता है। उदाहरण: प्लास्टिक, टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, आदि।
प्रश्न:14 परमाणु ऊर्जा से बिजली कैसे बनाई जाती है?
उत्तर: परमाणु की संरचना में बदलाव करके परमाणु ऊर्जा प्राप्त की जाती है। जब किसी परमाणु की संरचना में बदलाव किया जाता है तो इससे बहुत भारी मात्रा में ताप ऊर्जा निकलती है। इस ऊर्जा का इस्तेमाल बिजली पैदा करने में किया जाता है। इस ऊर्जा से भाप बनाई जाती है जिससे टरबाइन चलाकर बिजली पैदा की जाती है।
☆END☆
प्रश्न:1 खनिज की परिभाषा लिखिए।
उत्तर: प्राकृतिक रूप में उपलब्ध एक समरूप पदार्थ जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना होती है उसे खनिज कहते हैं।
प्रश्न:2 धात्विक खनिज से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: जिन खनिजों से धातु प्राप्त होती है उन्हें धात्विक खनिज कहते हैं; जैसे लौह अयस्क, बॉक्साइट, आदि।
प्रश्न:3 अधात्विक खनिज से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:जिन खनिजों से अधातु प्राप्त होते हैं उन्हें अधात्विक खनिज कहते हैं; जैसे अभ्रक, चूना पत्थर, आदि।
प्रश्न:4 आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में खनिज किस रूप में मौजूद रहते हैं?
उत्तर: आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में खनिजों के छोटे जमाव शिराओं के रूप में पाये जाते हैं। इन चट्टानों में खनिजों के बड़े जमाव परत के रूप में पाये जाते हैं। जब खनिज पिघली हुई अवस्था या गैसीय अवस्था में होती है तो खनिजों का निर्माण आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में होता है। इस अवस्था में खनिज दरारों से होते हुए भूमि की ऊपरी सतह तक पहुँच जाते हैं। उदाहरण: टिन, जस्ता, लेड, आदि।
प्रश्न:5 अवसादी चट्टानों में खनिज किस रूप में पाये जाते हैं?
उत्तर: इस प्रकार की चट्टानों में खनिज परतों में पाये जाते है। उदाहरण: कोयला, लौह अयस्क, जिप्सम, पोटाश लवण और सोडियम लवण, आदि।
प्रश्न:6 कुछ ऐसे खनिज के उदाहरण दें जो जलोढ़ जमाव के रूप में पाये जाते हैं।
उत्तर: सोना, चाँदी, टिन, प्लैटिनम, आदि।
प्रश्न:7 लौह अयस्क के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: अच्छी क्वालिटी के लौह अयस्क में लोहे की अच्छी मात्रा होती है। मैग्नेटाइट में 70% लोहा होता है इसलिए इसे सबसे अच्छी क्वालिटी का लौह अयस्क माना जाता है। अपने उत्तम चुम्बकीय गुण के कारण यह लोहा विद्युत उद्योग के लिये अच्छा माना जाता है। हेमाटाइट में 50 से 60% लोहा होता है। इसे मुख्य औद्योगिक लौह अयस्क माना जाता है।
प्रश्न:8 लौह अयस्क के मुख्य बेल्टों के नाम लिखिए।
उत्तर: भारत में लौह अयस्क के मुख्य बेल्ट निम्नलिखित हैं:
- उड़ीसा झारखंड बेल्ट
- दुर्ग बस्तर चंद्रपुर बेल्ट
- बेल्लारी चित्रदुर्ग चिकमगलूर बेल्ट
- महाराष्ट्र गोवा बेल्ट
प्रश्न:9 तांबा अयस्क पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: तांबा एक महत्वपूर्ण अयस्क है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से बिजली के तार, इलेक्ट्रॉनिक और रसायन उद्योग में होता है। मध्यप्रदेश की बालाघाट की खानों में भारत का 52% तांबा निकलता है। 48% शेअर के साथ राजास्थान तांबे का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। तांबे का उत्पादन झारखंड के सिंहभूम जिले में भी होता है।
प्रश्न:10 अलमुनियम अयस्क पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: अलमुनियम का इस्तेमाल कई चीजें बनाने में किया जाता है क्योंकि यह हल्का और मजबूत होता है। अलमुनियम के अयस्क को बॉक्साइट कहते हैं। बॉक्साइट के मुख्य भंडार अमरकंटक के पठार, मैकाल पहाड़ी और बिलासपुर कटनी के पठारी क्षेत्रों में हैं। बॉक्साइट का मुख्य उत्पादक उड़ीसा है जहाँ 45% बॉक्साइट का उत्पादन होता है। उड़ीसा में बॉक्साइट के मुख्य भंडार पंचपतमाली और कोरापुट जिले में हैं।
प्रश्न:11 खनन के दुष्प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर: खानों में काम करने वाले मजदूरों और आस पास रहेन वाले लोगों के लिये खनन एक घातक उद्योग है। खनिकों को कठिन परिस्थिति में काम करना पड़ता है। खान के अंदर नैसर्गित रोशनी नहीं मिल पाती है। खानों में हमेशा खान की छत गिरने, पानी भरने और आग लगने का खतरा रहता है। खान के आस पास के इलाकों में धूल की भारी समस्या होती है। खान से निकलने वाली स्लरी से सड़कों और खेतों को नुकसान पहुँचता है। इन इलाकों में घर और कपड़े ज्यादा जल्दी गंदे हो जाते हैं। खनिकों को सांस की बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। खनन वाले क्षेत्रों में सांस की बीमारी के केस अधिक होते हैं।
प्रश्न:12 बिटुमिनस कोयले पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: जो कोयला उच्च तापमान के कारण बना था और अधिक गहराई में दब गया था उसे बिटुमिनस कोयला कहते हैं। वाणिज्यिक इस्तेमाल के दृष्टिकोण से यह सबसे लोकप्रिय कोयला माना जाता है। बिटुमिनस कोयले को लोहा उद्योग के लिये आदर्श माना जाता है।
प्रश्न:13 पेट्रोलियम के क्या इस्तेमाल हैं?
उत्तर: कोयले के बाद, भारत का मुख्य ऊर्ज संसाधन है पेट्रोलियम। पेट्रोलियम का इस्तेमाल कई कार्यों में ऊर्जा के स्रोत के रूप में होता है। इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल कच्चे माल के रूप में कई उद्योगों में होता है। उदाहरण: प्लास्टिक, टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, आदि।
प्रश्न:14 परमाणु ऊर्जा से बिजली कैसे बनाई जाती है?
उत्तर: परमाणु की संरचना में बदलाव करके परमाणु ऊर्जा प्राप्त की जाती है। जब किसी परमाणु की संरचना में बदलाव किया जाता है तो इससे बहुत भारी मात्रा में ताप ऊर्जा निकलती है। इस ऊर्जा का इस्तेमाल बिजली पैदा करने में किया जाता है। इस ऊर्जा से भाप बनाई जाती है जिससे टरबाइन चलाकर बिजली पैदा की जाती है।
☆END☆
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