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Thursday, June 13, 2019

अर्थशास्त्र-chapter-2.भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक(b)

अर्थशास्त्र-chapter-2.भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक(b)

अर्थव्यवस्था के अन्य वर्गीकरण

संगठित सेक्टर: इस सेक्टर में सारी गतिविधियाँ एक सिस्टम से होती हैं, और यहाँ कानून का पालन होता है। संगठित सेक्टर में श्रमिकों के अधिकारों को महत्व दिया जाता है। देश और उद्योग में प्रचलित परिपाटी के हिसाब से श्रमिकों को मजदूरी मिलती है। श्रमिकों को सरकार की नीतियों के अनुसार सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाती है। इस सेक्टर में काम करने वाले श्रमिकों को प्रोविडेंट फंड, लीव एंटाइटलमेंट, मेडिकल बेनिफिट और बीमा जैसी सुविधाएँ भी मिलती हैं।
सामाजिक सुरक्षा की जरूरत को समझने के लिये एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि किसी परिवार के कमाने वाले मुखिया की मृत्यु हो जाती है या वह काम करने में अक्षम हो जाता है। ऐसे में उसके परिवार पर यह संकट आ जाता है कि उसका आगे का गुजारा कैसे होगा। यदि ऐसे श्रमिक के परिवार को सरकार की नीतियों के अनुसार प्रोविडेंट फंड और बीमे की रकम मिल जाती है तो फिर उस परिवार को इतना सहारा मिल जाता है कि वह दोबारा अपनी जिंदगी शुरु कर सके। यदि ऐसे श्रमिक के परिवार को उसके हाल पर छोड़ दिया जाये तो उसका भविष्य अंधेरे में पड़ जायेगा।

असंगठित सेक्टर: इस सेक्टर में कोई सिस्टम नहीं होता है और ज्यादातर कानून की अवहेलना की जाती है। छोटे दुकानदार, छोटे कारखाने वाले अक्सर इस श्रेणी में आते हैं। ऐसे संस्थानों में काम करने वाले श्रमिकों को मूलभूत अधिकार भी नहीं मिलते हैं। श्रमिकों को कम वेतन मिलता है और वह भी समय पर नहीं मिलता है। ऐसे में अन्य सुविधाओं की बात ही करना बेमानी है; जैसे छुट्टी, हेल्थ बेनिफिट, बीमा, आदि।
सार्वजनिक सेक्टर: जो कम्पनियाँ सरकार द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चलाई जाती हैं वे सार्वजनिक सेक्टर या पब्लिक सेक्टर में आती हैं। आजादी के बाद के शुरुआती वर्षों में भारत बहुत गरीब हुआ करता था। उस समय के निजी उद्यमियों के पास इतनी पूँजी नहीं थी कि उसे मूलभूत वस्तुओं; जैसे लोहा, इस्पात, अल्मुनियम, खाद, सीमेंट, आदि के कारखानों में लगा सकें। इसके अलावा आधारभूत संरचना; जैसे रेल, सड़क, पत्तन, विमान पत्तन, आदि बनाने के लिये भी भारी पूँजी की जरूरत थी। भारतीय उद्यमियों के पास पूँजी के अभाव को देखते हुए भारत सरकार ने पब्लिक सेक्टर की शुरुआत की। इस सेक्टर में बड़े बड़े उपक्रम शुरु किये गये; जैसे स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कमिशन, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड, आदि।

प्राइवेट सेक्टर: जिन कम्पनियों को निजी लोगों द्वारा चलाया जाता है वे प्राइवेट सेक्टर में आती हैं। उदाहरण: टाटा, इंफोसिस, गोदरेज, मारुति, आदि।

बेरोजगारी उन्मूलन के लिये भारत सरकार की योजनाएँ

समाज के पिछड़े वर्ग की मदद के लिये और बेरोजगारी दूर करने के लिये सरकार द्वारा समय समय पर कई योजनाएँ चलाई जाती हैं। नरेगा (नेशनल रूरल एम्पलॉयमेंट गारंटी‌) को तत्कालीन सरकार द्वारा 2004 में शुरु किया गया था। इसे अब मनरेगा (महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्पलॉयमेंट गारंटी‌) के नाम से जाना जाता है। इस योजना के तहत हर ग्रामीण घर से कम से कम एक व्यक्ति को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है। गाँव में रहने वाले गरीबों को ‘काम का अधिकार’ सुनिश्चित करने के लिए यह एक अनूठा पहल है।


NCERT Solution

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

प्रश्न:1सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि ..........। (हुई है/नहीं हुई है‌)
उत्तर: नहीं हुई है
प्रश्न:2 ..............क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक/कृषि)
उत्तर: तृतीयक
प्रश्न:3 ..............क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा प्राप्त होती है। (संगठित/असंगठित)
उत्तर: संगठित
प्रश्न:4 भारत में ..............संख्या में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। (बड़ी/छोटी)
उत्तर: बड़ी
प्रश्न:5 कपास एक ............उत्पाद है और कपड़ा एक .............उत्पाद है। (प्राकृतिक/विनिर्मित‌)
उत्तर: प्राकृतिक, विनिर्मित
प्रश्न:6 प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ .............हैं। (स्वतंत्र/परस्पर निर्भर)
उत्तर: परस्पर निर्भर

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न:1 सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित है।
  • रोजगार की शर्तों
  • आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
  • उद्यमों के स्वामित्व
  • उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या
उत्तर: उद्यमों के स्वामित्व
प्रश्न:2 एक वस्तु का अधिकांशत: प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन ...............क्षेत्रक की गतिविधि है।
  • प्राथमिक
  • द्वितीयक
  • तृतीयक
  • सूचना औद्योगिकी
उत्तर: प्राथमिक
प्रश्न:3 किसी विशेष वर्ष में उत्पादित ...............के मूल्य के कुल योगफल को जीडीपी कहते हैं।
  • सभी वस्तुओं और सेवाओं
  • सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
  • सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
  • सभी मध्यवर्ती ईवं वस्तुओं और सेवाओं
उत्तर: सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
प्रश्न:4 जीडीपी के पदों में वर्ष 2003 में तृतीयक क्षेत्र की हिस्सेदारी ...........है।
  • 20% से 30% के बीच
  • 30% से 40% के बीच
  • 50% से 60% के बीच
  • 70%
उत्तर: 50% से 60% के बीच

निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए

कृषि क्षेत्रक की समस्याएँकुछ संभावित उपाय
1.असिंचित भूमिa)कृषि आधारित मिलों की स्थापना
2.फसलों का कम मूल्यb)सहकारी विपणन समिति
3.कर्ज भारc)सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली
4.मंदी काल में रोजगार का अभावd)सरकार द्वारा नहरों का निर्माण
5.कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशताe)कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना
उत्तर: 1 d, 2 c, 3 e, 4 a, 5 b

असंगत की पहचान करें और बताइए क्यों?

प्रश्न:a) पर्यटन-निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
उत्तर: पर्यटन निर्देशक तृतीयक सेक्टर में काम करता है जबकि अन्य प्राथमिक सेक्टर में
प्रश्न:b) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील
उत्तर: सब्जी विक्रेता प्राथमिक सेक्टर में काम करता है जबकि अन्य तृतीयक सेक्टर में
प्रश्न:c) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
उत्तर: मोची द्वितीयक सेक्टर में काम करता है जबकि अन्य तृतीयक सेक्टर में
प्रश्न:d) एम.टी.एन.एल., भारतीय रेल, एयर इंडिया, सहारा एयरलाइंस, ऑल इंडिया रेडियो
उत्तर: सहारा एयरलाइंस प्राइवेट सेक्टर में है जबकि अन्य पब्लिक सेक्टर में

प्रश्न:1एक शोध छात्र ने सूरत शहर में काम करने वाले लोगों से मिलकर निम्न आँकड़े जुटाए
कार्य स्थानरोजगार की प्रकृतिश्रमिकों का प्रतिशत
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों मेंसंगठित15
औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक15
सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक20
छोटी कार्यशालाएँ, जो प्राय: सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं
तालिका को पूरा कीजिए। इस शहर में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की प्रतिशतता क्या है?
उत्तर:
कार्य स्थानरोजगार की प्रकृतिश्रमिकों का प्रतिशत
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों मेंसंगठित15
औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिकसंगठित15
सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिकअसंगठित20
छोटी कार्यशालाएँ, जो प्राय: सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैंअसंगठित50
असंगठित क्षेत्रक में 70% श्रमिक काम करते हैं।
प्रश्न:2 क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर: आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन कई दृष्टिकोण से उपयोगी है। इससे अर्थशास्त्रियों को किसी भी अर्थव्यवस्था में उपस्थित समस्याओं और अवसरों को समझने में मदद मिलती है। इससे मिली सूचना के आधार पर सरकार समाज कल्याण के कार्यक्रम बना सकती है और सुधारों को लागू कर सकती है ताकि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो और रोजगार के नये अवसर तैयार हों।
प्रश्न:3 इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रकों को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी‌) पर ही क्यों केंद्रित करना चाहिए? चर्चा करें।
उत्तर: जीडीपी से अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर मिलती है और विभिन्न क्षेत्रकों का योगदान समझ में आता है। नीति निर्धारकों के लिए जीडीपी एक तुरंत समझ में आने वाला रेफरेंस प्रदान करता है। इसलिए जीडीपी का अपना महत्व है। रोजगार के अवसरों से किसी भी अर्थव्यवस्था की सही सेहत का पता चलता है। इसलिए रोजगार की आँकड़े भी महत्वपूर्ण होते हैं।
प्रश्न:4 जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्राइमरी सेक्टरकिसान, दूधवाला, मछली वाला, आदि
सेकंडरी सेक्टरफैक्ट्री में काम करने वाला इंजीनियर और फोरमैन
टरशियरी सेक्टरचार्टर्ड एकाउंटेंट, बैंकर, शिक्षक, डॉक्टर, आदि
प्रश्न:5 तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न कैसे है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
तृतीयक सेक्टरअन्य सेक्टर
किसी भी भौतिक वस्तु का निर्माण नहीं होता है।भौतिक वस्तु का निर्माण होता है।
मशीन की जरूरत नहीं पड़ती है।मशीन की जरूरत पड़ती है।
इस सेक्टर में श्रमिकों के मानसिक क्षमता की अधिक जरूरत पड़ती है।इस क्षेत्र में श्रमिकों के शारीरिक परिश्रम की अधिक जरूरत पड़ती है।
उदाहरण: डिजाइनर, शेफ, शिक्षक, वकील, आदि।उदाहरण: मिस्त्री, बढ़ई, राजमिस्त्री, आदि।
प्रश्न:6 प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर: जब एक श्रमिक काम तो कर रहा होता है लेकिन उसकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है तो ऐसी स्थिति को प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं। ऐसी स्थिति में एक श्रमिक किसी खास काम में इसलिये लगा रहता है क्योंकि उसके पास उससे बेहतर करने को कुछ भी नहीं होता। इस स्थिति में श्रमिक के पास कोई विकल्प नहीं होता बल्कि किसी खास काम को करने की मजबूरी होती है। गाँवों में ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि जिस खेत पर काम करने के लिए एक दो लोग काफी होते हैं उसी खेत पर कई लोग काम करते रहते हैं। अतिरिक्त लोग उस खेत पर इसलिए काम कर रहे होते हैं क्योंकि उनके पास करने को कोई बेहतर विकल्प नहीं होता है। यह छुपी हुई बेरोजगारी का एक जीवंत उदाहरण है। शहरी क्षेत्रों में किसी दुकान पर आपको कई भाई काम करते मिल जाएँगे। उनको अलग अलग दुकान चलाना चाहिए लेकिन सही अवसर के अभाव में उन्हें एक ही दुकान पर काम करने को बाध्य होना पड़ता है।
प्रश्न:7 खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर: जब किसी आदमी के पास कोई काम नहीं होता है तो इसे बेरोजगारी कहते हैं। जब कोई आदमी काम तो कर रहा होता है लेकिन अपनी क्षमता का सदुपयोग नहीं कर पाता है तो इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं। लेकिन जब किसी आदमी को काम बिल्कुल भी नहीं मिलता तो इसे खुली बेरोजगारी कहते हैं।
प्रश्न:8 “भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।“ क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर: यह कथन आंशिक रूप से सही है। जब हम 1973 से 2000 तक तृतीय सेक्टर की वृद्धि को देखते हैं तो कह सकते हैं कि इस सेक्टर में वृद्धि हुई है। 2003 के जीडीपी में तृतीयक सेक्टर की हिस्सेदारी सबसे अधिक है; जो इस सेक्टर के अच्छे पहलू को दिखाता है। लेकिन जब हम रोजगार के अवसरों के आँकड़े देखते हैं तो पता चलता है कि तृतीयक सेक्टर ने रोजगार के उतने अवसर नहीं बनाए जो जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी से मैच कर पाये। इसलिए हम कह सकते हैं कि रोजगार मुहैया कराने के मामले में तृतीयक सेक्टर में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
प्रश्न:9 “भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करते हैं।“ ये लोग कौन हैं?
उत्तर: सर्विस सेक्टर में नियमित और अनियमित श्रमिक काम करते हैं। जो श्रमिक अपने हुनर और मानसिक क्षमताओं का प्रयोग करता है और सामान्यत: सीधे रूप से नियोजित होता है उसे नियमित श्रमिक कहते हैं। जो श्रमिक ऐसी सेवा प्रदान करता है जिसमें मानसिक क्षमताओं की खास भूमिका न हो उसे अनियमित या अनौपचारिक श्रमिक कहते हैं। अंशकालीन रूप से नियोजित श्रमिकों को भी अनियमित श्रमिक की श्रेणी में रखा जाता है। उदाहरण: एक ठेले का मालिक जो किसी प्रकाशक के यहाँ कागज पहुँचाता है एक अनियमित श्रमिक होता है।
प्रश्न:10 “असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।“ क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर: यह सही है कि असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है। असंगठत क्षेत्रक में काम करने वालों को कम मेहनताना मिलता है और उन्हें लंबे समय के लिये काम करना पड़ता है। उन्हें छुट्टियाँ शायद ही मिलती हैं। उन्हें सामाजिक सुरक्षा भी नहीं मिलती है।
प्रश्न:11 आर्थिक गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की जाती हैं?
उत्तर: रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर आर्थिक गतिविधियों को संगठित और असंगठित क्षेत्रक में बाँटा गया है।
प्रश्न:12 संगठित और असंगठित क्षेत्रकों की रोजगार परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर:
संगठित क्षेत्रकअसंगठित क्षेत्रक
इस सेक्टर में काम एक सिस्टम से होता है और नियमों की सीमा रेखा के अंदर होता है।इस सेक्टर में कोई सिस्टम नहीं होता और ज्यादातर नियमों का उल्लंघन होता है।
इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार के नियमों के अनुसार होता है।इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार द्वारा तय पारिश्रमिक से कम होता है।
श्रमिकों को नियम के हिसाब से सामाजिक सुरक्षा मिलती है।सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है।
नौकरी सामान्यत: सुरक्षित होती है।नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं होती है।
प्रश्न:13 नरेगा 2005 के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: ‘काम के अधिकार’ के लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से नरेगा 2005 को लागू किया गया था। इस प्रोग्राम के तहत ग्रामीण क्षेत्र के हर परिवार के एक व्यक्ति को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन के लिये प्रतिबद्ध है। इस कार्यक्रम का एक और उद्देश्य है गाँवों से महानगरों की ओर होने वाले भारी पलायन को रोकना।
प्रश्न:14 अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना कीजिए।
उत्तर: इसे समझने के लिए भारत के किसी भी छोटे शहर की ट्रांसपोर्ट सेक्टर की बात करते हैं। ज्यादातर राज्यों में लंबी दूरी की बसों का परिचालन स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन द्वारा किया जाता है जो एक पब्लिक सेक्टर ऑर्गेनाइजेशन है। इसके अलावा कई प्राइवेट ऑपरेटर भी बस चलवाते हैं। स्टेट ट्रांसपोर्ट के श्रमिकों को सही वेतन और अन्य सुविधाएँ मिलती हैं। लेकिन प्राइवेट ट्रांसपोर्ट में काम करने वाले लोगों को ये सुविधाएँ नहीं मिल पाती हैं। कई राज्यों में स्टेट ट्रांसपोर्ट की सेवा बड़ी खराब होती है इसलिए लोग प्राइवेट बसों में यात्रा करना पसंद करते हैं।
प्रश्न:15 अपने क्षेत्र से एक एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए:
उत्तर:
सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठनअव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन
सार्वजनिक क्षेत्रकएन.टी.पी.सी.बी.एस.एन.एल.
निजी क्षेत्रकटाटा पावरस्वादिष्ट ब्रेड कम्पनी
प्रश्न:16 सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहारण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यांवयन क्यों किया जाता है?
उत्तर:
गतिविधियाँसरकारी नियंत्रण के कारण
जल आपूर्तिजल एक मूलभूत आवश्यकता है और जल की आपूर्ति के लिए भारी पूंजी की आवश्यकता होती है। लेकिन लोगों को पीने का पानी कम से कम दाम में मुहैया कराना होता है।
रेल परिचालनरेल लाइन बिछाने और रेलगाड़ी खरीदने में भारी पूंजी की आवश्यकता होती है।
सड़कग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें बनाने में प्राइवेट कम्पनियों की कोई रुचि नहीं होती है।
प्रश्न:17 व्याख्या कीजिए कि किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?
उत्तर: किसी भी देश के आर्थिक विकास में पब्लिक सेक्टर का अहम योगदान होता है। जब भारत एक गरीब देश हुआ करता था तो यहाँ की अर्थव्यवस्था को शुरुआती गति प्रदान करने में पब्लिक सेक्टर ने अहम भूमिका निभाई थी। पब्लिक सेक्टर ने आधारभूत उद्योग और आधारभूत संरचना तैयार की जिसके कारण प्राइवेट सेक्ट फल फूल सका। इस तरह से भारत के आर्थिक विकास में पब्लिक सेक्टर ने एक उत्प्रेरक का काम किया।
प्रश्न:18 असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है – मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर: सरकार द्वारा समय समय पर न्यूनतम मजदूरी घोषित की जाती है। किसी भी व्यक्ति के लिए जीवन के न्यूनतम स्तर पर जीने के लिये कम से कम इतनी आय की जरूरत पड़ती है। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कई मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल पाती है इसलिए वे हमेशा गरीबी के बोझ से दबे होते हैं। काम के दौरान सुरक्षा एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू होता है। सुरक्षा के अभाव में कोई विकलांग हो सकता है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है। एक स्वस्थ मजदूर ही अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे सकता है। इसलिए एक नियोक्ता को चाहिए कि अपने मजदूरों को स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराए। मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधा दिलवाने के लिये हर किसी के पहल की आवश्यकता है।
प्रश्न:19 अहमदाबाद में किए गए एक अध्ययन पत्र में पाया गया कि नगर के 15,00,000 श्रमिकों में से 11,00,000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997 – 98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ रुपये थी इसमें से 320 करोड़ रुपये संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होते थे। इस आँकड़े को सारणी में प्रदर्शित कीजिए‌। नगर में और अधिक रोजगार सृजन के लिए किन तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए।
उत्तर:
संगठित क्षेत्रकअसंगठित क्षेत्रककुल योग
श्रमिकों की संख्या400,0001,100,0001,500,000
कुल आय (करोड़ रुपये)320280600
इस सारणी से यह स्पष्ट है कि असंगठित क्षेत्रक में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या अधिक है। लेकिन संगठित क्षेत्र में प्रति व्यक्ति आय अधिक है। सरकार को चाहिए कि असंगठित क्षेत्रक के मालिकों को इस बात के लिये प्रोत्साहित करे कि वे संगठित क्षेत्रक में आ जाएँ। सरकार को इसके लिये कुछ प्रलोभन देना चाहिए; जैसे कि टैक्स ब्रेक।
प्रश्न:20 निम्नलिखित तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद रुपये (करोड़) में दिया गया है:
वर्षप्राथमिकद्वितीयकतृतीयक
195080,00019,00039,000
2000314,000280,000555,000
प्रश्न:a) वर्ष 1950 एवं 2000 के लिए जीडीपी में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए।
उत्तर: वर्ष 1950 में कुल जीडीपी = 80,000 + 19,000 + 39,000 = 138,000
वर्ष 1950 में प्राथमिक सेक्टर की हिस्सेदारी
= (80,000/138,000) × 100 = 57.97%
वर्ष 1950 में द्वितीयक सेक्टर की हिस्सेदारी
= (19,000/138,000) × 100 = 13.76%
वर्ष 1950 में तृतीयक सेक्टर की हिस्सेदारी
= (39,000/138,000) × 100 = 28.26%
वर्ष 2000 में कुल जीडीपी = 314,000 + 280,000 + 555,000 = 1,149,000
वर्ष 2000 में प्राथमिक सेक्टर की हिस्सेदारी
= (314,000/1,149,000) × 100 = 27.32%
वर्ष 2000 में द्वितीयक सेक्टर की हिस्सेदारी
= (280,000/1,149,000) × 100 = 24.36%
वर्ष 2000 में तृतीयक सेक्टर की हिस्सेदारी
= (555,000/1,149,000) × 100 = 48.30%
प्रश्न:b) अध्याय में दिए आरेख 2 के समान एक दण्ड आरेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न:c) दण्ड आरेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते हैं?
उत्तर: यह दण्ड आरेख दर्शाता है कि तीनों सेक्टर में इन पचास वर्षों में जबरदस्त वृद्धि हुई है।

Extra Questions Answers

प्रश्न:1 किसी भी अर्थव्यवस्था को किन किन क्षेत्रक या सेक्टर में बाँटा जाता है?
उत्तर: किसी भी अर्थव्यवस्था को तीन सेक्टर में बाँटा जाता है:
  • प्राथमिक या प्राइमरी सेक्टर
  • द्वितीयक या सेकंडरी सेक्टर
  • तृतीयक या टरशियरी सेक्टर
प्रश्न:2 प्राइमरी सेक्टर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: प्राइमरी सेक्टर में होने वाली आर्थिक क्रियाओं में मुख्य रूप से प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से उत्पादन किया जाता है। उदाहरण: कृषि और कृषि से संबंधित क्रियाकलाप, खनन, आदि।
प्रश्न:3 सेकंडरी सेक्टर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: सेकंडरी सेक्टर में प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के द्वारा अन्य रूपों में बदला जाता है। उदाहरण: लोहा इस्पात उद्योग, ऑटोमोबाइल, आदि।
प्रश्न:4 टरशियरी सेक्टर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: टरशियरी सेक्टर में होने वाली आर्थिक क्रियाओं के द्वारा अमूर्त वस्तुएँ प्रदान की जाती हैं। उदाहरण: यातायात, वित्तीय सेवाएँ, प्रबंधन सलाह, सूचना प्रौद्योगिकी, आदि।

प्रश्न:5 विभिन्न सेक्टर की पारस्परिक निर्भरता को समझाइए।
उत्तर: इस पारस्परिक निर्भरता को समझने के लिए बिस्किट का उदाहरण लेते हैं। एक बिस्किट का निर्माण मैदा, पानी, चीनी और कृत्रिम फ्लेवर से होता है। मैदा के उत्पादन के लिये गेहूँ की खेती जरूरी है। चीनी के लिये गन्ने का उत्पादन जरूरी है। मैदा और चीनी को बिस्किट फैक्ट्री तक पहुँचाने के लिये ट्रकों की जरूरत पड़ती है। खेतों और कारखानों में मजदूरों और मैनेजरों की जरूरत होती है। किसान को गेहूँ और गन्ना उपजाने के लिये खाद और बीज की जरूरत पड़ती है। इस उत्पादन के हर चरण पर पैसे का लेनदेन होता है। उस लेनदेन का हिसाब रखने के लिये एकाउंटेंट की जरूरत होती है। इस उदाहरण से विभिन्न सेक्टर की पारस्परिक निर्भरता का पता चलता है।
प्रश्न:6 संगठित सेक्टर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: संगठित सेक्टर में सारी गतिविधियाँ एक सिस्टम से होती हैं, और यहाँ कानून का पालन होता है। संगठित सेक्टर में श्रमिकों के अधिकारों को महत्व दिया जाता है।
प्रश्न:7 श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर: सामाजिक सुरक्षा की जरूरत को समझने के लिये एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि किसी परिवार के कमाने वाले मुखिया की मृत्यु हो जाती है या वह काम करने में अक्षम हो जाता है। ऐसे में उसके परिवार पर यह संकट आ जाता है कि उसका आगे का गुजारा कैसे होगा। यदि ऐसे श्रमिक के परिवार को सरकार की नीतियों के अनुसार प्रोविडेंट फंड और बीमे की रकम मिल जाती है तो फिर उस परिवार को इतना सहारा मिल जाता है कि वह दोबारा अपनी जिंदगी शुरु कर सके। यदि ऐसे श्रमिक के परिवार को उसके हाल पर छोड़ दिया जाये तो उसका भविष्य अंधेरे में पड़ जायेगा।

प्रश्न:8 असंगठित सेक्टर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: असंगठित सेक्टर में कोई सिस्टम नहीं होता है और ज्यादातर कानून की अवहेलना की जाती है। छोटे दुकानदार, छोटे कारखाने वाले अक्सर इस श्रेणी में आते हैं। ऐसे संस्थानों में काम करने वाले श्रमिकों को मूलभूत अधिकार भी नहीं मिलते हैं।
प्रश्न:9 पब्लिक सेक्टर का क्या मतलब है?
उत्तर: जो कम्पनियाँ सरकार द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चलाई जाती हैं वे सार्वजनिक सेक्टर या पब्लिक सेक्टर में आती हैं।
प्रश्न:10 प्राइवेट सेक्टर का क्या मतलब है?
उत्तर: जिन कम्पनियों को निजी लोगों द्वारा चलाया जाता है वे प्राइवेट सेक्टर में आती हैं। उदाहरण: टाटा, इंफोसिस, गोदरेज, मारुति, आदि।
☆END☆

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