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Wednesday, June 12, 2019

भूगोल-chapter-4.कृषि

4.कृषि

भारत में कृषि के प्रकार

प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि:

जिस प्रकार की खेती से केवल इतनी उपज होती हो कि उससे परिवार का पेट भर सके तो उसे प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि कहते हैं। इस प्रकार की खेती जमीन के छोटे टुकड़ों पर की जाती है। इसमें आदिम औजार और परिवार या समुदाय के श्रम का इस्तेमाल होता है। यह मुख्यतया मानसून पर और जमीन की प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर करती है। इस प्रकार की कृषि में किसी स्थान विशेष की जलवायु के हिसाब से ही किसी फसल का चुनाव किया जाता है।
इसे ‘कर्तन दहन खेती’ भी कहा जाता है। ऐसा करने के लिये सबसे पहले जमीन के किसी टुकड़े की वनस्पति को काटा जाता और फिर उसे जला दिया जाता है। वनस्पति के जलाने से राख बनती है उसे मिट्टी में मिला दिया जाता है। उसके बाद फसल उगाई जाती है।
किसी जमीन के टुकड़े पर दो चार बार खेती करने के बाद उसे परती छोड़ दिया जाता है। उसके बाद एक नई जमीन को खेती के लिये तैयार किया जाता है। इस बीच पहले वाली जमीन को इतना समय मिल जाता है कि प्राकृतिक तरीके से उसकी खोई हुई उर्वरता वापस हो जाती है।

कर्तन दहन खेती के विभिन्न नाम:

नामक्षेत्र
झूमअसम, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड
पामलूमणिपुर
दीपाबस्तर, अंदमान और निकोबार द्वीप समूह
बेवर या दहियामध्य प्रदेश
पोडु या पेंडाआंध्र प्रदेश
पामा दाबी या कोमन या बरीगाँउड़ीसा
कुमारापश्चिमी घाट
वालरे या वाल्टरेदक्षिण पूर्व राजस्थान
खीहिमालय
कुरुवाझारखंड
मिल्पामेक्सिको और मध्य अमेरिका
कोनुकोवेनेजुएला
रोकाब्राजील
मसोलेमध्य अफ्रिका
रेवियतनाम

गहन जीविका कृषि:

जब कृषि बड़े भूभाग पर होती है और सघन आबादी वाले क्षेत्रों में होती है तो उसे गहन जीविका कृषि कहते हैं। इस प्रकार की कृषि में जैव रासायनिक निवेशों और सिंचाई का अत्यधिक इस्तेमाल होता है।
गहन जीविका कृषि की समस्याएँ: पीढ़ी दर पीढ़ी जमीन का बँटवारा होने लगता है। इससे जमीन का आकार छोटा होता चला जाता है। छोटे आकार के भूखंड से होने वाली पैदावार लाभप्रद नहीं रह जाती है। इसके फलस्वरूप किसानों को रोजगार की तलाश में पलायन करना पड़ता है।

वाणिज्यिक कृषि:

जब खेती का मुख्य उद्देश्य पैदावार की बिक्री करना हो तो उसे वाणिज्यिक कृषि कहते हैं। इस प्रकार की कृषि में आधुनिक साजो सामान का इस्तेमाल होता है। इसमें अधिक पैदावार वाले बीज, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और खरपतवारनाशक का इस्तेमाल होता है। भारत में पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ भागों में बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक कृषि होती है। इसके अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु, आदि में भी इस प्रकार की खेती होती है।
रोपण कृषि: जब किसी एक फसल को एक बड़े क्षेत्र में उपजाया जाता है तो उसे रोपण कृषि कहते हैं। इस प्रकार की कृषि में बड़ी पूंजी और बहुत सारे कामगारों की जरूरत पड़ती है। रोपण कृषि से मिलने वाला उत्पाद अक्सर उद्योग में इस्तेमाल होता है। चाय, कॉफी, रबर, गन्ना, केला, आदि रोपण कृषि के मुख्य फसल हैं। चाय का उत्पादन मुख्य रूप से असम और उत्तरी बंगाल के चाय बागानों में होता है। कॉफी तमिल नाडु में उगाई जाती है। केला बिहार और महाराष्ट्र में उगाया जाता है। रोपण कृषि की सफलता के लिये यातायात और संचार के विकसित माध्यम और अच्छे बाजार की आवश्यकता होती है।

शस्य प्रारूप (CROPPING PATTERN)

भारत में तीन शस्य ऋतुएँ हैं; रबी, खरीफ और जायद।
रबी:रबी की फसल जाड़े में उगायी जाती है इसलिये इसे जा‌ड़े की फसल भी कहते हैं। रबी की बुआई अक्तूबर से दिसंबर की बीच होती है। इसकी कटाई अप्रिल से जून के बीच होती है। रबी की मुख्य फसलें हैं गेहूँ, बार्ली, मटर, चना और सरसों। पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश रबी की फसल के मुख्य उत्पादक हैं।
खरीफ:खरीफ की फसल गरमी में उगायी जाती है इसलिये इसे गरमी की फसल भी कहते हैं। खरीफ की बुआई जुलाई में होती है और कटाई सितंबर अक्तूबर में होती है। खरीफ की मुख्य फसलें हैं धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, तुअर, मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीं। धान के मुख्य उत्पादक हैं असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा के तटवर्ती इलाके, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार। असम, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में एक साल में धान की तीन फसलें उगाई जाती हैं; जिन्हें ऑस, अमन और बोरो कहते हैं।
जायद:जायद का मौसम रबी और खरीफ के बीच आता है। इस में तरबूज, खरबूजा, खीरा, सब्जियाँ और चारे वाली फसलें उगाई जाती हैं। गन्ने को भी इसी मौसम में लगाया जाता है लेकिन उसे पूरी तरह से बढ़ने में एक साल लग जाता है।

कृषि

मुख्य फसलें

चावल:चीन के बाद भारत दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। धान की खेती के लिए जरूरी होते हैं उच्च तापमान (25°C से अधिक), अधिक आर्द्रता और 100 सेमी से अधिक की सालाना वर्षा। यदि सिंचाई की सही व्यवस्था हो तो धान को कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। अब धान की खेती पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी होने लगी है। ऐसा इसलिये संभव हो पाया है कि इन क्षेत्रों में नहरों का सघन जाल है।
गेहूँ:गेहूँ उगाने के लिए 50 से 75 सेमी की सालाना वर्षा की जरूरत होती है जिसका वितरण समान रूप से हो। पाला पड़ने से गेहूँ की फसल तबाह हो जाती है। गेहूँ के मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं; पश्चिम उत्तर के गंगा सतलज के मैदान और दक्कन के काली मृदा वाले क्षेत्र। गेहूँ के मुख्य उत्पादक हैं पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ भाग।
मोटे अनाज:भारत में उगने वाले मोटे अनाज में से मुख्य हैं ज्वार, बाजरा और रागी। हालाँकि ये मोटे अनाज हैं लेकिन इनमें पोषक तत्वों की अधिक मात्रा होती है।

ज्वार:ज्वार उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे है। ज्वार की खेती कर्णाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी होती है। ज्वार को अक्सर आर्द्र क्षेत्रों में उगाया जाता है इसलिये इसे सिंचाई की जरूरत नहीं होती है।
बाजरा:बाजरे को बलुई और उथली काली मिट्टी में उगाया जाता है। राजस्थान बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है। बाजरे की खेती उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा में भी होती है।
रागी:रागी को शुष्क प्रदेशों में लाल, काली, बलुआ दोमट और उथली काली मिट्टी में उगाया जाता है। रागी के उत्पादन में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है जिसके बाद तमिल नाडु का स्थान है।
मक्का:मक्के का इस्तेमाल खाद्यान्न और चारे दोनों के रूप में होता है। पुरानी जलोढ़ मिट्टी में मक्के की पैदावार अच्छी होती है। मक्के की खेती के लिए 21°-27°C के बीच के तापमान की जरूरत पड़ती है। कर्णाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश मक्के के मुख्य उत्पादक हैं।
दालें:भारत विश्व में दाल का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ साथ सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। दालों को सामन्यतया अन्य फसलों के आवर्तन में उगाया जाता है। इसका यह मतलब है कि हर दो फसल के बीच एक दाल की फसल उगाई जाती है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्णाटक दाल के मुख्य उत्पादक हैं।
गन्ना:गन्ने की फसल के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु, 21°-27°C के बीच का तापमान और 75 cm से 100 cm की वर्षा की जरूरत होती है। गन्ने के उत्पादन में ब्राजील पहले नंबर पर है और भारत दूसरे नंबर पर। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्णाटक, तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा गन्ने के मुख्य उत्पादक हैं।
तिलहन:भारत तिलहन का सबसे बड़ा उत्पादक है। मूंगफली, सरसों, नारियल, तिल, सोयाबीन, अरंडी, बिनौला, अलसी और सूरजमुखी भारत के मुख्य तिलहन हैं।
मूंगफली:भारत में पैदा होने वाले तिलहनों में मूंगफली का हिस्सा 50% है। आंध्र प्रदेश मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद तमिल नाडु, कर्णाटक, गुजरात और महाराष्ट्र का स्थान आता है।
मूंगफली एक खरीफ फसल है। अलसी और सरसों रबी की फसलें हैं। तिल उत्तरी भारत में खरीफ की फसल है और दक्षिण में रबी की फसल है। अरंडी को रबी और खरीफ दोनों मौसमों में उगाया जाता है।
चाय:उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु चाय की फसल के लिये अच्छी होती है। इसके लिए गहरी मिट्टी और सुगम जल निकास वाले ढ़लुवा क्षेत्रों की जरूरत पड़ती है। चाय के उत्पादन में गहन श्रम की आवश्यकता होती है। असम, पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु और केरल चाय के मुख्य उत्पादक हैं। दार्जीलिंग की पहाड़ियाँ अपनी खास चाय के लिए मशहूर हैं। भारत चाय का सबसे बड़ा उत्पादक है।
कॉफी:चाय की तरह कॉफी को भी बागानों में उगाया जाता है। भारत में सबसे पहले यमन से अरेबिका किस्म की कॉफी को उगाया गया था। शुरुआत में कॉफी को बाबा बूदन पहाड़ियों में उगाया गया था।
बागवानी फसलें:भारत में उष्ण और शीतोष्ण कटिबंधीय फलों का उत्पादन होता है। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के आम, नागपुर और चेरापुंजी के संतरे, केरल, मिजोरम, महाराष्ट्र और तमिल नाडु के केले, उत्तर प्रदेश और बिहार की लीची, मेघालय के अनन्नास, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के अंगूर, जम्मू कश्मीर और हिमाचल के सेब, नाशपाती, खूबानी और अखरोट पूरी दुनिया में मशहूर हैं।
भारत सब्जियों और फलों का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में पूरे विश्व के उत्पादन की 13% सब्जियाँ पैदा होती हैं। भारत मटर, गोभी, प्याज, बंदगोभी, टमाटर, बैगन और आलू का एक मुख्य उत्पादक है।

अखाद्य फसलें

रबर: भूमध्यरेखीय क्षेत्र रबर की फसल के लिये सबसे उपयुक्त है। लेकिन उष्ण और उपोष्ण क्षेत्रों में भी रबर की खेती होती है। रबर की खेती के लिए आर्द्र और नम जलवायु की जरूरत होती है जहाँ 200 सेमी से अधिक वर्षा होती हो और 25°C से अधिक तापमान रहता हो। भारत में रबर की खेती मुख्य रूप से केरल, तमिल नाडु, कर्णाटक, अंदमान निकोबार द्वीप समूह और मेघालय की गारो पहाड़ियों में होती है। रबर के उत्पादन में भारत का विश्व में पाँचवां स्थान है।
कपास: भारत कपास का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। कपास की खेती दक्कन पठार के शुष्क भागों की काली मिट्टी में होती है। कपास की अच्छी पैदावार के लिए उच्च तापमान, हल्की वर्षा, 210 पाला रहित दिन और तेज धूप की जरूरत होती है। कपास की फसल को पकने में 6 से 8 महीने लगते हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्णाटक, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु, हरियाणा और उत्तर प्रदेश कपास के मुख्य उत्पादक हैं।
जूट: जूट के लिए अच्छी जल निकासी वाली बाढ़ के मैदानों की उपजाऊ मिट्टी की जरूरत होती है। जूट के मुख्य उत्पादक हैं पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उड़ीसा और मेघालय।

कृषि

भूदान: ग्रामदान और भूमि सुधार

भूमि सुधार पहली पंचवर्षीय योजना का मुख्य लक्ष्य था। विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन चलाया था ताकि बड़े जमींदार अपनी कुछ जमीन भूमिहीन किसानों को दान कर दें। कई लोग भूदान आंदोलन के समर्थन में आगे आये और अपनी जमीन दान में दे दी।
जब जोत छोटी होती है तो कृषि प्रबंधन सही ढ़ंग से नहीं हो पाता है। इस समस्या को दूर करने के लिये सरकार ने भूमि सुधार के लिये कई कदम उठाये हैं। इसके लिये जमीन की सीमाओं में फेरबदल किये गये जिससे एक किसान की सारी जमीन एक ही प्लॉट में आ जाये। ऐसे सुधार पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में सफल हुए। लेकिन अधिकतर राज्यों के किसानों ने इसपर सहयोग नहीं किया। इसलिये अन्य राज्यों में भूमि सुधार नहीं हो पाया।

हरित क्रांति

हरित क्रांति की शुरुआत 1960 और 1970 के दशक में हुई। इस क्रांति का मुख्य उद्देश्य था कृषि उपज को बढ़ाना। इस क्रांति में नई टेक्नॉलोजी और अधिक उपज देने वाली बीजों के इस्तेमाल पर जोर दिया गया। हरित क्रांति के परिणाम सुखद आये; खासकर पंजाब और हरियाणा में।

श्वेत क्रांति

श्वेत क्रांति (ऑपरेशन फ्लड) की शुरुआत दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिये हुई।
1980 और 1990 के दशकों में भूमि विकास के लिए एक व्यापक कार्यक्रम शुरु किया गया। इस कार्यक्रम में संस्थागत और टेक्नॉलोजिकल दोनों पहलुओं पर जोर दिया गया। किसानों को नुकसान की भरपाई के लिये बाढ़, सूखा, चक्रवात, आग और बीमारी के लिए फसल बीमा की सुविधा दी गई। किसानों को आसानी से कर्ज मुहैया कराने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण बैंक और को-ऑपरेटिव सोसाइटी खोली गई।
किसानों के फायदे के लिए किसान क्रेडिट कार्ड, पर्सनल ऐक्सिडेंट इंश्योरेंस स्कीम और कई अन्य स्कीम को लाया गया।
सरकारी टेलिविजन चैनल और रेडियो पर कृषि से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं और मौसम की बुलेटिन भी आती है। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। उस मूल्य पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है ताकि बिचौलियों के कुचक्र को तोड़ा जा सके।

वर्तमान स्थिति

वर्तमान में कृषि क्षेत्र की हालत अच्छी नहीं है। इस क्षेत्र में विकास तेजी से नीचे गिर रहा है। आयात शुल्क में कटौती के कारण यहाँ के किसानों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से कड़ी टक्कर मिल रही है। कृषि क्षेत्र में निवेश नहीं हो पा रहा है। इस क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर नहीं पनप रहे हैं।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि की भागीदारी 1951 से लगातार गिर रही है। इसके बावजूद अभी भी कृषि क्षेत्र ही सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराता है। कृषि में होने वाली गिरावट के भयानक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि इसका प्रभाव पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
कृषि के आधुनिकीकरण के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। भारत में कृषि सुधार के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), कृषि विश्वविद्यालय, पशु चिकित्सा सेवा, पशु प्रजनन केंद्र, बागवानी, मौसम विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास पर खास ध्यान दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत ढ़ाँचे के सुधार के लिए भी सरकार कई कदम उठा रही है।

NCERT Solution

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न:1निम्नलिखित में से कौन सा उस कृषि प्रणाली को दर्शाता है जिसमें एक ही फसल लंबे चौड़े क्षेत्र में उगाई जाती है?
  • स्थानांतरी कृषि
  • बागवानी
  • रोपन कृषि
  • गहन कृषि
उत्तर: बागवानी
प्रश्न:2इनमें से कौन सी रबी फसल है?
  • चावल
  • चना
  • मोटे अनाज
  • कपास
उत्तर: चना
प्रश्न:3इनमें से कौन सी एक फलीदार फसल है?
  • दालें
  • ज्वार तिल
  • मोटे अनाज
  • तिल
उत्तर: दालें
प्रश्न:4सरकार निम्नलिखित में से कौन सी घोषणा फसलों को सहायता देने के लिए करती है?
  • अधिकतम सहायता मूल्य
  • मध्यम सहायता मूल्य
  • न्यूनतम सहायता मूल्य
  • प्रभावी सहायता मूल्य
उत्तर: न्यूनतम सहायता मूल्य

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न:1एक पेय फसल का नाम बताएँ तथा उसको उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें।
उत्तर: चाय एक पेय फसल है। चाय की पैदावार उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में अच्छी होती है और इसके लिए गहरी मिट्टी और सुगम जल निकास वाले ढ़लुवा क्षेत्रों की जरूरत पड़ती है। चाय के उत्पादन में गहन श्रम की आवश्यकता होती है।
प्रश्न:2भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण दें।
उत्तर: गेहूँ एक खाद्य फसल है। पश्चिम उत्तर के गंगा सतलज के मैदान और दक्कन के काली मृदा वाले क्षेत्र भारत के मुख्य गेहूँ उत्पादक क्षेत्र हैं। गेहूँ के मुख्य उत्पादक हैं पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ भाग।
प्रश्न:3सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएँ।
उत्तर: सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रम निम्नलिखित हैं:
  • हरित क्रांति
  • श्वेत क्रांति
  • भूमि सुधार
प्रश्न:4दिन प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते हैं?
उत्तर: दिन प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम होने से खाद्यान्न की कमी हो जाएगी। भोजन एक मूलभूत आवश्यकता है जिसके बिना हमारी उत्तरजीविता संकट में पड़ जाएगी। भोजन की कमी से समाज और अर्थव्यवस्था पर बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

प्रश्न:1कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए।
उत्तर: कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
  • पूरे देश में भूमि सुधार करना चाहिए।
  • वैज्ञानिकों को अधिक यील्ड वाले बीज विकसित करने चाहिए।
  • नहरों, सड़कों और कोल्ड स्टोरेज को अच्छी तरह से विकसित करना चाहिए।
  • मोबाइल फोन के जरिए किसानों तक समय रहते मौसम की जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए।
प्रश्न:22. भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर: वर्तमान में पश्चिमी देशों के किसानों को अत्यधिक सहायिकी मिलने के कारण भारत के किसान उनसे प्रतिस्पर्धा करने में अक्षम साबित हो रहे हैं। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत के कृषि उत्पाद की मांग बहुत कम है। साथ में रासायनिक उर्वरक और सिंचाई के अत्यधिक इस्तेमाल ने नई समस्याएँ खड़ी कर दी है जिससे कृषि उत्पाद घट रहा है। भारत में कृषि पर बहुत अधिक लोग निर्भर हैं इसलिए प्रति व्यक्ति कृषि उत्पाद और भी कम होने वाली है। कई विशेषज्ञों की राय में कार्बनिक कृषि से इस समस्या से निदान पाया जा सकता है।
प्रश्न:3चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।
उत्तर: धान की खेती के लिए उच्च तापमान (25°C से अधिक), अधिक आर्द्रता और 100 सेमी से अधिक की सालाना वर्षा की जरूरत होती है। लेकिन कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इसे सिंचाई की समुचित व्यवस्था करके उगाया जा सकता है। चावल की खेती उत्तर के मैदानों, पूर्वोत्तर भारत, तटीय इलाकों और डेल्टा के क्षेत्रों में होती है। जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में चावल की पैदावार अच्छी होती है। लेकिन सिंचाई की समुचित व्यवस्था विकसित करने से चावल की खेती अन्य भागों में भी संभव है।



Extra Questions Answers

प्रश्न:1प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि किसे कहते हैं?
उत्तर: जिस प्रकार की खेती से केवल इतनी उपज होती हो कि उससे परिवार का पेट भर सके तो उसे प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि कहते हैं।
प्रश्न:2कर्तन दहन खेती से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि को कर्तन दहन खेती भी कहते हैं। ऐसा करने के लिये सबसे पहले जमीन के किसी टुकड़े की वनस्पति को काटा जाता और फिर उसे जला दिया जाता है। वनस्पति के जलाने से राख बनती है उसे मिट्टी में मिला दिया जाता है। उसके बाद फसल उगाई जाती है।
प्रश्न:3गहन जीविका कृषि क्या है?
उत्तर: जब कृषि बड़े भूभाग पर होती है और सघन आबादी वाले क्षेत्रों में होती है तो उसे गहन जीविका कृषि कहते हैं। इस प्रकार की कृषि में जैव रासायनिक निवेशों और सिंचाई का अत्यधिक इस्तेमाल होता है।
प्रश्न:4वाणिज्यिक कृषि क्या है?
उत्तर: जब खेती का मुख्य उद्देश्य पैदावार की बिक्री करना हो तो उसे वाणिज्यिक कृषि कहते हैं।
प्रश्न:5रोपण कृषि क्या है?
उत्तर: जब किसी एक फसल को एक बड़े क्षेत्र में उपजाया जाता है तो उसे रोपण कृषि कहते हैं।

प्रश्न:6भारत की मुख्य शस्य ऋतुओं के नाम लिखें।
उत्तर: भारत में तीन शस्य ऋतुएँ हैं; रबी, खरीफ और जायद।
प्रश्न:7रबी की फसल पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: रबी की फसल जाड़े में उगायी जाती है इसलिये इसे जा‌ड़े की फसल भी कहते हैं। रबी की बुआई अक्तूबर से दिसंबर की बीच होती है। इसकी कटाई अप्रिल से जून के बीच होती है। रबी की मुख्य फसलें हैं गेहूँ, बार्ली, मटर, चना और सरसों। पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश रबी की फसल के मुख्य उत्पादक हैं।
प्रश्न:8खरीफ की फसल पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: खरीफ की फसल गरमी में उगायी जाती है इसलिये इसे गरमी की फसल भी कहते हैं। खरीफ की बुआई जुलाई में होती है और कटाई सितंबर अक्तूबर में होती है। खरीफ की मुख्य फसलें हैं धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, तुअर, मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीं। धान के मुख्य उत्पादक हैं असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा के तटवर्ती इलाके, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार। असम, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में एक साल में धान की तीन फसलें उगाई जाती हैं; जिन्हें ऑस, अमन और बोरो कहते हैं।
प्रश्न:9चावल की खेती के लिये कैसी जलवायु की आवश्यक्ता होती है?
उत्तर: धान की खेती के लिए जरूरी होते हैं उच्च तापमान (25°C से अधिक), अधिक आर्द्रता और 100 सेमी से अधिक की सालाना वर्षा।

प्रश्न:10गन्ने की फसल के लिये कैसी जलवायु की जरूरत होती है।
उत्तर: गन्ने की फसल के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु, 21°-27°C के बीच का तापमान और 75 cm से 100 cm की वर्षा की जरूरत होती है।
प्रश्न:11भारत में रबर की खेती पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: भूमध्यरेखीय क्षेत्र रबर की फसल के लिये सबसे उपयुक्त है। लेकिन उष्ण और उपोष्ण क्षेत्रों में भी रबर की खेती होती है। रबर की खेती के लिए आर्द्र और नम जलवायु की जरूरत होती है जहाँ 200 सेमी से अधिक वर्षा होती हो और 25°C से अधिक तापमान रहता हो। भारत में रबर की खेती मुख्य रूप से केरल, तमिल नाडु, कर्णाटक, अंदमान निकोबार द्वीप समूह और मेघालय की गारो पहाड़ियों में होती है। रबर के उत्पादन में भारत का विश्व में पाँचवां स्थान है।
प्रश्न:12भूमि सुधार की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर: जब जोत छोटी होती है तो कृषि प्रबंधन सही ढ़ंग से नहीं हो पाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी जमीन के बँटवारे के कारण किसानों की जमीन छोटी होती चली गई। इसलिये भूमि सुधार की जरूरत महसूस की गई।
प्रश्न:13हरित क्रांति पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: हरित क्रांति की शुरुआत 1960 और 1970 के दशक में हुई। इस क्रांति का मुख्य उद्देश्य था कृषि उपज को बढ़ाना। इस क्रांति में नई टेक्नॉलोजी और अधिक उपज देने वाली बीजों के इस्तेमाल पर जोर दिया गया। हरित क्रांति के परिणाम सुखद आये; खासकर पंजाब और हरियाणा में।
☆END☆

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