क्षेत्रीय पार्टियों का उदय: पिछले तीन दशकों में कई क्षेत्रीय पार्टियों का महत्व बढ़ा है। यह भारत में लोकतंत्र के फैलाव और उसकी गहरी होती जड़ों को दर्शाता है। कुछ क्षेत्रीय नेता अपने अपने राज्यों में काफी शक्तिशाली हैं। समाजवादी पार्टी, बीजू जनता दल, एआईडीएमके, डीएमके, आदि क्षेत्रीय पार्टी के उदाहरण हैं।
राजनीतिक दलों के लिये चुनौतियाँ:
आंतरिक लोकतंत्र का अभाव: अधिकांश पार्टियों का नियंत्रण कुछ चुनिंदा लोगों के हाथों में रहता है। पार्टी का साधारण सदस्य शायद ही ऊँचे पदों पर पहुँचने का सपना देख पाता है। शीर्ष नेतृत्व अक्सर जमीनी कार्यकर्ताओं से कटा हुआ रहता है। इसलिए कार्यकर्ता अपनी पार्टी से स्वामिभक्ति करने की बजाय शीर्ष नेतृत्व से स्वामिभक्ति करते हैं।
वंशवाद: कई पार्टियों में शीर्ष नेतृत्व के लोग किसी एक ही परिवार के सदस्य होते हैं। जब पार्टी का उत्तराधिकार जन्म के आधार पर मिलने लगे तो वहाँ लोकतंत्र बेमानी हो जाता है। यह स्थिति केवल भारत में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी है।
पैसा और अपराधी तत्वों का प्रभाव: चुनाव में काँटे की टक्कत होती है और उसे जीतना किसी भी पार्टी के लिये बहुत बड़ी चुनौती होती है। इसके लिये राजनीतिक पार्टी हर तरह के हथकंडे अपनाती है। चुनाव के दौरान पैसा पानी की तरह बहाया जाता है। मतदाताओं और चुनाव अधिकारियों को डराने धमकाने के लिए आपराधिक तत्वों का सहारा भी लिया जाता है।
विकल्पहीनता: ज्यादातर पार्टियाँ एक दूसरे की कार्बन कॉपी लगती हैं। बहुत कम ही राजनीतिक पार्टी एक सही विकल्प दे पाती हैं। लोगों के पास आगे खाई और पीछे कुआँ वाली स्थिती रहती है और दोनों में से किसी एक को चुनने के अलावा और कोई रास्ता नहीं रह जाता है। कई राज्यों में तो हर पाँच साल पर सत्ताधारी पार्टी बदल जाती है लेकिन फिर भी लोगों के जीवन में कोई बदलाव नहीं आ पाता।
राजनीतिक दलों को सुधारने के उपाय:
हमारे देश की राजनीतिक पार्टियों और नेताओं में सुधार लाने के लिये कुछ उपाय नीचे दिये गये हैं:
दलबदल कानून: इस कानून को राजीव गांधी की सरकार के समय पास किया गया था। इस कानून के मुताबिक यदि कोई विधायक या सांसद पार्टी बदलता है तो उसकी विधानसभा या संसद की सदस्यता समाप्त हो जायेगी। इस कानून से दलबदल को कम करने में काफी मदद मिली है। लेकिन इस कानून ने पार्टी में विरोध का स्वर उठाना मुश्किल कर दिया है। अब सांसद या विधायक को हर वह बात माननी पड़ती है जो पार्टी के नेता का निर्णय होता है।
नामांकण के समय संपत्ति और क्रिमिनल केस का ब्यौरा देना:अब चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार के लिये यह अनिवार्य हो गया है कि वह नामांकण के समय एक शपथ पत्र दे जिसमें उसकी संपत्ति और उसपर चलने वाले क्रिमिनल केस का ब्यौरा हो। इससे जनता के पास अब उम्मीदवार के बारे में अधिक जानकारी होती है। लेकिन उम्मीदवार द्वारा दी गई सूचना की सत्यता जाँचने के लिये अभी कोई भी सिस्टम नहीं बना है।
अनिवार्य संगठन चुनाव और टैक्स रिटर्न: चुनाव आयोग ने अब पार्टियों के लिये संगठन चुनाव और टैक्स रिटर्न को अनिवार्य कर दिया है। राजनीतिक पार्टियों ने इसे शुरु कर दिया है लेकिन अभी यह महज औपचारिकता के तौर पर होता है।
भविष्य के लिये सलाह:
राजनीतिक पार्टी के आंतरिक कामकाज को व्यवस्थित करने के लिये एक कानून बनाया जाये।
हर पार्टी के लिये यह अनिवार्य हो कि कुछ टिकट (लगभग एक तिहाई) महिला उम्मीदवारों को दें।
चुनाव का खर्चा सरकार वहन करे। चुनावी खर्चे का वहन करने के लिये सरकार की ओर से पार्टियों को पैसे मिलने चाहिए। कुछ खर्चे सुविधाओं के रूप में दिये जा सकते हैं; जैसे पेट्रोल, कागज, टेलिफोन, आदि। या किसी पार्टी द्वारा पिछले चुनाव में जीते गये वोटों के आधार पर सरकार कैश दे सकती है।
दो अन्य तरीके हैं जिनसे राजनीतिक पार्टियों में सुधार किया जा सकता है। ये तरीके हैं; लोगों का दबाव और लोगों की भागीदारी।
NCERT Solution
प्रश्न 1:लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा करें।
उत्तर: राजनीतिक दलों की निम्न भूमिका होती है:
- चुनाव लड़ना
- सरकार बनाना और सरकार चलाना
- चुनाव हारने वाली पार्टी विपक्ष की भूमिका निभाती है।
- राजनीतिक दल लोगों को सरकारी मशीनरी से जोड़ते हैं और लोगों तक सरकार की समाज कल्याण योजनाएँ पहुँचाते हैं।
- जनता की धारणा को बनाते हैं, नियम और कानून बनाते हैं।
प्रश्न 2:राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं?
उत्तर: राजनीतिक दलों के सामने विभिन्न चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
- आंतरिक लोकतंत्र का अभाव
- वंशवाद
- पैसा और अपराधी तत्वों का प्रभाव
- एक सकारात्मक विकल्प देने की अक्षमता
प्रश्न 3:राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढ़ंग से करें, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव दें।
उत्तर:राजनीतिक दल के बेहतर कामकाज और मजबूती के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:
- राजनीतिक पार्टी के आंतरिक कामकाज को व्यवस्थित करने के लिये एक कानून बनाया जाये।
- हर पार्टी के लिये यह अनिवार्य हो कि कुछ टिकट (लगभग एक तिहाई) महिला उम्मीदवारों को दें।
- चुनाव का खर्चा सरकार वहन करे। चुनावी खर्चे का वहन करने के लिये सरकार की ओर से पार्टियों को पैसे मिलने चाहिए। कुछ खर्चे सुविधाओं के रूप में दिये जा सकते हैं; जैसे पेट्रोल, कागज, टेलिफोन, आदि। या किसी पार्टी द्वारा पिछले चुनाव में जीते गये वोटों के आधार पर सरकार कैश दे सकती है।
- दो अन्य तरीके हैं जिनसे राजनीतिक पार्टियों में सुधार किया जा सकता है। ये तरीके हैं; लोगों का दबाव और लोगों की भागीदारी।
प्रश्न 4:राजनीतिक दल का क्या अर्थ होता है?
उत्तर: लोगों का ऐसा समूह जो चुनाव लड़ने और सरकार बनाने के उद्देश्य से बनता है उसे राजनीतिक दल कहते है। इस समूह में एकत्रित लोग समाज का भला करने के खयाल से कुछ नीतियों और कार्यक्रमों पर सहमत होते हैं।
प्रश्न 5:किसी भी राजनीतिक दल के क्या गुण होते हैं?
उत्तर: इस तरह से राजनीतिक दल समाज के मूलभूत राजनैतिक विभाजन का आइना होते हैं। कोई भी पार्टी सोसाइटी के किसी खास पार्ट का प्रतिनिधित्व करती है और इसलिये इसमें पार्टिजनशिप की बात होती है। इसलिये कोई भी पार्टी इस बात के लिये जानी जाती है कि यह समाज के किस पार्ट की बात करती है, किन नीतियों का समर्थन करती है और किनके हितों की वकालत करती है।
प्रश्न 6:चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता सँभालने के लिए एकजुट हुए लोगों के समूह को ..................कहते हैं।
उत्तर: राजनीतिक दल
प्रश्न 7:सूची 1 और सूची 2 का मिलान करें:
सूची 1 | सूची 2 |
1. कांग्रेस पार्टी | a) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन |
2. भारतीय जनता पार्टी b) प्रांतीय दल | b) प्रांतीय दल |
3. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) | c) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन |
4. तेलुगुदेशम पार्टी | d) वाम मोर्चा |
उत्तर: 1 c, 2 a, 3 d, 4 b
प्रश्न 8:इनमें से कौन बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक हैं?
- कांशीराम
- साहू महाराज
- बी. आर. अंबेडकर
- ज्योतिबा फूले
उत्तर:a) कांशीराम
प्रश्न 9:भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धांत क्या है?
- बहुजन समाज
- क्रांतिकारी लोकतंत्र
- सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
- आधुनिकता
उत्तर: a) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
प्रश्न 10:पार्टियों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर गौर करें:
- राजनीतिक दलों पर लोगों का ज्यादा भरोसा नहीं है।
- दलों में अक्सर बड़े नेताओं के घोटालों की गूँज सुनाई देती है।
- सरकार चलाने के लिए पार्टियों का होना जरूरी नहीं।
इन कथनों में से कौन सही है?
उत्तर: a और b
प्रश्न 11:निम्नलिखित उद्धरण को पढ़ें और नीचे दिए गए प्रश्नों का जवाब दें:
मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं। गरीबों के आर्थिक और सामाजिक विकास के प्रयासों के लिए उन्हें अनेक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उन्हें और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को संयुक्त रूप से वर्ष 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। फरवरी 2007 में उन्होंने एक राजनीतिक दल बनाने और संसदीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। उनका उद्देश्य सही नेतृत्व को उभारना, अच्छा शासन देना और नए बांग्लादेश का निर्माण करना है। उन्हें लगता है कि पारंपरिक दलों से अलग एक नए राजनीतिक दल से ही नई राजनीतिक संस्कृति पैदा हो सकती है। उनका दल निचले स्तर से लेकर ऊपर तक लोकतांत्रिक होगा।
नागरिक शक्ति नामक इस नये दल के गठन से बांग्लादेश में हलचल मच गई है। उनके फैसले को काफी लोगों ने पसंद किया तो अनेक को यह अच्छा नहीं लगा। एक सरकारी अधिकारी शाहेदुल इस्लाम ने कहा, “मुझे लगता है कि अब बांग्लादेश में अच्छे और बुरे के बीच चुनाव करना संभव हो गया है। अब एक अच्छी सरकार की उम्मीद की जा सकती है। यह सरकार न केवल भ्रष्टाचार से दूर रहेगी बल्कि भ्रष्टाचार और काले धन की समाप्ति को भी अपनी प्राथमिकता बनाएगी।“
पर दशकों से मुल्क की राजनीति में रुतबा रखने वाले पुराने दलों के नेताओं में संशय है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है, “नोबेल पुरस्कार जीतने पर क्या बहस हो सकती है पर राजनीति एकदम अलग चीज है। एकदम चुनौती भरी और अक्सर विवादास्पद।“ कुछ अन्य लोगों का स्वर तो और कड़ा था। वे उनके राजनीति में आने पर सवाल उठाने लगे। एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा, “देश से बाहर की ताकतें उन्हें राजनीति पर थोप रही हैं।“
क्या आपको लगता है कि यूनुस ने नई राजनीतिक पार्टी बनाकर ठीक किया?
क्या आप विभिन्न लोगों द्वारा जारी बयानों और अंदेशों से सहमत हैं? इस पार्टी को दूसरों से अलग काम करने के लिए खुद को किस तरह संगठित करना चाहिए? अगर आप इस राजनीतिक दल के संस्थापकों में एक होते तो इसके पक्ष में क्या दलील देते?
उत्तर: मोहम्मद यूनुस ने नई राजनीतिक पार्टी बनाकर सही काम किया। एक सरकारी अधिकारी के बयान से मैं सहमत हूँ। एक बड़े नेता के बयान से भी मैं सहमत हूँ लेकिन आंशिक रूप से। आज राजनीति इसलिए खराब हो गई है क्योंकि अच्छे लोग इससे दूर रहना चाहते हैं। मोहम्मद यूनुस ने राजनीति में जाने की हिम्मत दिखाई है। उन्हें साफ छवि वाले लोगों और बुद्धिजीवियों को अपने संगठन में लाने की कोशिश करनी चाहिए। जिस तरह से ग्रामीण बैंक के जरिये उन्होंने गरीबों तक बैंकिंग सेवा को पहुँचाया है उसी तरह उन्हें अच्छी राजनीति को लोगों तक पहुँचाने का पूरा हक है।
Extra Questions Answers
प्रश्न 1:राजनीतिक पार्टी से क्या समझते हैं?
उत्तर: लोगों का ऐसा समूह जो चुनाव लड़ने और सरकार बनाने के उद्देश्य से बनता है उसे राजनीतिक दल कहते है।
प्रश्न 2:राजनीतिक पार्टी के मुख्य घटक क्या होते हैं?
उत्तर: राजनीतिक पार्टी के तीन मुख्य घटक होते हैं: नेता, सक्रिय सदस्य और अनुयायी।
प्रश्न 3:राजनीतिक पार्टी का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर: राजनैतिक पदों को भरना और सत्ता का इस्तेमाल करना ही किसी पार्टी का मुख्य कार्य होता है।
प्रश्न 4:अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये राजनीतिक पार्टी क्या-क्या काम करती है?
उत्तर: अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये राजनीतिक पार्टी निम्नलिखित काम करती है:
- चुनाव लड़ना
- नीति बनाना
- कानून बनाना
- सरकार बनाना
- विपक्ष की भूमिका
- जनमत का निर्माण
- सरकारी मशीनरी तक लोगों की पहुँच बनाना
प्रश्न 5:राजनीतिक पार्टी की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर: लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टी एक अभिन्न अंग होती है। यदि कोई पार्टी न हो तो हर उम्मीदवार एक स्वतंत्र उम्मीदवार होगा। भारत में लोकसभा में कुल 543 सदस्य हैं। यदि हर सदस्य स्वतंत्र रूप से चुनाव जीत कर आयेगा तो स्थिति बड़ी भयावह हो जायेगी। कोई भी दो सदस्य किसी एक मुद्दे पर एक ही तरह से सोचने में असमर्थ होगा। एक सांसद हमेशा अपने चुनावी क्षेत्र के बारे में सोचेगा और राष्ट्र हित को दरकिनार कर देगा। राजनीतिक पार्टी विभिन्न सोच के राजनेताओं को एक मंच पर लाने का काम करती ताकि वे सभी मिलकर किसी भी बड़े मुद्दे पर एक जैसी सोच बना सकें।
प्रश्न 6:एकल पार्टी सिस्टम की सबसे बड़ी खामी क्या है?
उत्तर: लोकतंत्र के दृष्टिकोण से यह सही नहीं है क्योंकि एकल पार्टी सिस्टम में लोगों के पास कोई विकल्प नहीं होता है।
प्रश्न 7:किसी देश में प्रचलित पार्टी सिस्टम के क्या कारण होते हैं?
उत्तर: किसी भी देश में प्रचलित पार्टी सिस्टम के कई ऐतिहासिक और सामाजिक कारण होते हैं।
प्रश्न 8:भारत में किस प्रकार का पार्टी सिस्टम है? विवेचना करें।
उत्तर: भारत में मल्टी पार्टी सिस्टम है और यहाँ कई राजनीतिक पार्टियाँ हैं। भारत के समाज में भारी विविधता है। इसलिए यहाँ मल्टी पार्टी सिस्टम विकसित हुई है। मल्टी पार्टी सिस्टम में कई खामियाँ लगती हैं। कई बार इससे राजनैतिक अस्थिरता का माहौल बन जाता है और साल दो साल में ही सरकार बदल जाती है। लेकिन भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में अलग-अलग हितों और मतधारणाओं का सही प्रतिनिधित्व मल्टी पार्टी सिस्टम से ही संभव हो पाता है।
प्रश्न 9:किस प्रकार की पार्टी को राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा मिलता है?
उत्तर: जिस पार्टी को विधान सभा के चुनाव में कुल वोट के कम से कम 6% वोट मिलते हैं और जो कम से कम दो सीटों पर चुनाव जीतती है उसे राज्य स्तर की पार्टी कहते हैं।
प्रश्न 10:किस प्रकार की पार्टी को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी कहा जाता है?
उत्तर: जिस पार्टी को लोक सभा चुनावों में या चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में कम से कम 6% वोट मिलते हैं और जो लोकसभा में कम से कम चार सीट जीतती है उसे राष्ट्रीय स्तर की पार्टी की मान्यता मिलती है।
प्रश्न 11:मान्यताप्राप्त पार्टी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: भारत में निष्पक्षष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए एक स्वतंत्र संस्था जिसका नाम चुनाव आयोग है। हर राजनीतिक पार्टी को चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। चुनाव आयोग की नजर में हर पार्टी समान होती है। लेकिन बड़ी और स्थापित पार्टियों को कुछ विशेष सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। इन पार्टियों को अलग चुनाव चिह्न दिया जाता है जिसका इस्तेमाल उस पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार ही कर सकता है। जिन पार्टियों को यह विशेषाधिकार मिलता है उन्हें मान्यताप्राप्त पार्टी कहते हैं।
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