7.लोकतंत्र के परिणाम
उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध शासन
लोकतंत्र से ऐसी सरकार बनती है जो जनता के लिये उत्तरदायी होती है और नागरिकों की उम्मीदों और मांगों पर ध्यान देती है।
अक्सर ऐसा प्रतीत होता है कि किसी अलोकतांत्रिक सरकार के मुकाबले कोई लोकतांत्रिक सरकार कम कुशल हो। किसी भी अलोकतांत्रिक सरकार में आम सहमति बनाने की जरूरत नहीं पड़ती इसलिए अहम फैसले लेने में देर नहीं लगती है। लेकिन लोकतांत्रिक सरकार में आम सहमति बनाने की जरूरत पड़ती है इसलिए अहम फैसले लेने में देर होती है। लेकिन हमें यह सोचना होगा कि क्या अलोकतांत्रिक सरकार का फैसला जनता को मंजूर होता है। क्या वैसे फैसले वास्तव में लोगों की समस्या का समाधान करते हैं।
लोकतांत्रिक सरकार अधिक पारदर्शी होती है। जनता के पास यह जानने का अधिकार होता है कि फैसले किन तरीकों से लिये गये या सरकार ने कोई कार्य कैसे किया। इसलिए एक लोकतांत्रिक सरकार जनता के लिये उत्तरदायी होती है और जनता का ध्यान रखती है।
लोकतांत्रिक सरकार को लोगों द्वारा चुना जाता है इसलिए ऐसी सरकार वैध होती है। इसलिए आज दुनिया के अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक सरकारें चल रही हैं।
आर्थिक संवृद्धि और विकास:
यदि आर्थिक समृद्धि की बात की जाये तो इसमें तानाशाही शासन लोकतंत्र के मामले में आगे दिखता है। 1950 से 2000 तक के पचास वर्षों के आँकड़ों का अध्ययन करने से पता चलता है कि तानाशाही शासन व्यवस्था में आर्थिक समृद्धि बेहतर हुई है। लेकिन कई लोकतांत्रिक देश हैं जो दुनिया की आर्थिक शक्तियों में गिने जाते हैं। इसलिये यह कहा जा सकता है कि सरकार का प्रारूप किसी देश की आर्थिक समृद्धि को निर्धारित करने वाला अकेला कारक नहीं है। इसके अन्य कारक भी होते हैं, जैसे: जनसंख्या, वैश्विक स्थिति, अन्य देशों से सहयोग, आर्थिक प्राथमिकताएँ, आदि।
इसलिए हमें आर्थिक संवृद्धि के साथ अन्य सकारात्मक पहलुओं को भी देखना पड़ेगा। इस दृष्टिकोण से लोकतंत्र हमेशा तानाशाही से बेहतर होता है।
असमानता और गरीबी में कमी
आर्थिक असमानता पूरी दुनिया में बढ़ रही है। भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा गरीब है। गरीबों और अमीरों की आय के बीच एक बहुत बड़ी खाई है। लोकतंत्र अधिकांश देशों में आर्थिक असमानता मिटाने में असफल ही रहा है।
सामाजिक विविधताओं में सामंजस्य
हर देश सामाजिक विविधताओं से भरा हुआ है। इसलिए विभिन्न वर्गों के बीच टकराव होना स्वाभाविक है। लोकतंत्र ऐसे तरीकों का विकास करने में मदद करता है जिनसे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो सके। लोकतंत्र में लोग विविधता का सम्मान करना और मतभेदों के समाधान निकालना सीख जाते हैं। अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में सामाजिक विविधता में तालमेल बना रहता है। इसके कुछ अपवाद हो सकते हैं, जैसे: श्रीलंका।
नागरिकों की गरिमा और आजादी
लोकतंत्र ने नागरिकों को गरिमा और आजादी प्रदान की है। भारत में कई सामाजिक वर्ग हैं जिन्होंने वर्षों तक उत्पीड़न झेला है। लेकिन लोकतांत्रिक प्रक्रिया के फलस्वरूप इन वर्गों के लोग भी आज सामाजिक व्यवस्था में ऊपर उठ पाये हैं और अपने हक को प्राप्त किया है।
महिलाओं की समानता
लोकतंत्र के कारण ही यह संभव हो पाया है कि महिलाएँ समान अधिकारों के लिये संघर्ष कर पाईं। आज अधिकांश लोकतांत्रिक देशों की महिलाओं को समाज में बराबर का दर्जा मिला हुआ है। तानशाह देशों में आज भी महिलाओं को समान अधिकार नहीं प्राप्त हैं।
जातिगत असमानता
जातिगत असामनता भारत में जड़ जमाये बैठी है। लेकिन लोकतंत्र के कारण इसकी संख्या काफी कम हुई है। आज पिछड़ी जाति और अनुसूचित जाति के लोग भी हर पेशे में शामिल होने लगे हैं।
NCERT Solution
प्रश्न 1:लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है?
उत्तर: एक लोकतांत्रिक सरकार जनता के लिए जवाबदेह होती है। यदि कोई सरकार जनता की उम्मीदों के हिसाब से काम नहीं करती है तो अगले चुनाव में जनता उसे हटा देती है। इसलिए एक लोकतांत्रिक सरकार को जनता के लिए उत्तरदायी होना पड़ता है। ऐसी सरकार को बहुमत से चुना जाता है इसलिए यह एक वैध सरकार होती है।
प्रश्न 2:लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है और उनके बीच सामंजस्य बैठाता है?
उत्तर: विविधता के कारण टकराव को पूरी तरह से हटाया नहीं जा सकता। लेकिन लोकतंत्र में ऐसे टकराव को न्यूनतम स्तर पर रखना संभव हो पाता है। लोकतंत्र में आम राय से बात आगे बढ़ती है और इस तरह से समाज के विभिन्न समूहों की आकांछाओं का सम्मान किया जाता है। यह दर्शाता है कि लोकतंत्र कि तरह से सामाजिक विविधताओं को सँभालता है और उनके बीच सामंजस्य बैठाता है।
प्रश्न 3:निम्नलिखित कथनों के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें:
औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए।
उत्तर: कई तानाशाह देशों के उदाहरण से पता चलता है कि ऐसी शासन व्यवस्था में आर्थिक विकास ठीक से होता है लेकिन कुछ ऐसे लोकतांत्रिक देश भी हैं जहाँ की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है। कई गरीब देशों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हुए भी तरक्की की है; हाँ उनकी वृद्धि की दर थोड़ी धीमी जरूर है। यदि हम लाभ और हानि की तुलना करें तो कह सकते हैं केवल धनी बनने की आकांछा से तानाशाह को अपनाना सही विकल्प नहीं हो सकता है।
गरीब देशों की सरकार को अपने ज्यादा संसाधन गरीबी को कम करने और आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर लगाने की जगह उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढ़ाँचे पर खर्च करने चाहिए।
उत्तर: रोजगार के अधिक से अधिक अवसर पैदा करने के लिए यह जरूरी होता है कि उद्योग और बुनियादी ढ़ाँचे पर अधिक खर्च करना चाहिए लेकिन हम सामाजिक सुरक्षा की भूमिका को नजरअंदाज नहीं कर सकते। कई लोग इतनी गरीब और दबे हुए होते हैं कि उनकी स्थिति सुधारने के लिए मदद की जरूरत होती है। ऐसे लोगों के लिए सबसे पहले गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य सुविधाएँ और शिक्षा को मुहैया कराना चाहिए। उद्योग और सामाजिक सुरक्षा पर खर्च करने के मामले में एक सही तालमेल होना जरूरी है।
नागरिकों के बीच आर्थिक समानता अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतांत्रिक देशों में है।
उत्तर: यह एक वास्तविकता है कि किसी भी तरह की शासन व्यवस्था क्यों न हो जाए लेकिन आर्थिक असमानता को हटाया नहीं जा सकता। रूस और चीन जैसे देशों का समाजवाद के साथ पुराना अनुभव बतलाता है ऐसा समाज बनाना असंभव है जहाँ सभी लोग आर्थिक रूप से समान हों। यही बात लोकतंत्र के लिए भी लागू होती है।
लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।
उत्तर: सैद्धांतिक रूप से यह सही है कि एक व्यक्ति और एक वोट होने से प्रभुत्व के टकराव को समाप्त किया जा सकता है। लेकिन वास्तविक दुनिया में ऐसा नहीं होता क्योंकि समाज काफी जटिल होता है। लोगो या लोगों के समूह का यह नैसर्गिक गुण होता है कि दूसरे पर अपना प्रभुत्व जमाएँ। इसलिए किसी भी समाज में प्रभुत्व का टकराव तो होग ही। लेकिन ये बात भी सच है कि लोकतंत्र में इस तरह के टकराव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
प्रश्न 4:नीचे दिए गये ब्यौरों में लोकतंत्र की चुनौतियों की पहचान करें। ये स्थितियाँ किस तरह नागरिकों के गरिमापूर्ण, सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन के लिए चुनौती पेश करती हैं। लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए नीतिगत-संस्थागत उपाय भी सुझाएँ:
उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद ओड़िसा में दलितों और गैर-दलितों के प्रवेश के लिए अलग-अलग दरवाजा रखने वाले एक मंदिर को एक ही दरवाजे से सबको प्रवेश की अनुमति देनी पड़ी।
उत्तर: यह उदाहरण लोगों के आत्मसम्मान और स्वतंत्रता की रक्षा की चुनौती को दर्शाता है। इस उदाहरण में समानता का अधिकार दिलाने के लिए न्यायपालिका ने हस्तक्षेप किया।
भारत के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
उत्तर: यह आर्थिक असमानता की चुनौती को दर्शाता है। सरकार किसी प्रकार का कर्जा माफी लागू कर सकती है ताकि किसानों को आत्महत्या करने के लिए बाध्य न होना पड़े। इसके साथ ही सरकार कृषि उत्पाद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करके भी किसानों की मदद कर सकती है।
जम्मू-कश्मीर के गंडवारा में मुठभेड़ बताकर जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा तीन नागरिकों की हत्या करने के आरोप को देखते हुए इस घटना के जाँच के आदेश दिए गये।
उत्तर: यह उदाहरण स्वतंत्रता, आत्मसम्मान और समानता के अधिकर की चुनौती को दर्शाता है। इस मामले में पुलिस और न्यायपालिका को सही कदम उठाने की जरूरत है।
प्रश्न 5:लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के संदर्भ में इनमें से कौन सा विचार सही है – लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं ने सफलतापूर्वक:
- लोगों के बीच टकराव को समाप्त कर दिया है।
- लोगों के बीच आर्थिक असमानताएँ समाप्त कर दी है।
- हाशिए के समूहों से कैसा व्यवहार हो, इस बारे में सारे मतभेद मिटा दिए हैं।
- राजनीतिक गैर बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।
उत्तर: राजनीतिक गैर बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।
प्रश्न 6:लोकतंत्र के मूल्यांकन के लिहाज से इनमें कोई एक चीज लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है। उसे चुनें:
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
- व्यक्ति की गरिमा
- बहुसंख्यक्तों का शासन
- कानून से समक्ष समानता
उत्तर: बहुसंख्यक्तों का शासन
प्रश्न 7:लोकतांत्रिक व्यवस्था के राजनीतिक और सामाजिक असमानताओं के बारे में किए गए अध्ययन बताते हैं कि
- लोकतंत्र और विकास साथ ही चलते हैं।
- लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।
- तानाशाही में असमानताएँ नहीं होती।
- तानाशाहियाँ लोकतंत्र से बेहतर साबित हुई हैं।
उत्तर: लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।
प्रश्न 8:नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़ें:
नन्नू एक दिहाड़ी मजदूर है। वह पूर्वी दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती वेलकम मजदूर कॉलोनी में रहता है। उसका राशन कार्ड गुम हो गया और जनवरी 2006 में उसने डुप्लीकेट राशन कार्ड बनाने के लिए अर्जी दी। अगले तीन महीनों तक उसने राशन विभाग के दफ्तर के कई चक्कर लगाए लेकिन वहाँ तैनात किरानी और अधिकारी उसका काम करने या उसकी अर्जी की स्थिति बताने को कौन कहे उसको देखने तक के लिए तैयार न थे। आखिरकार उसने सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुए अपनी अर्जी की दैनिक प्रगति का ब्यौरा देने का अवेदन किया।
इसके साथ ही उसने इस अर्जी पर काम करने वाले अधिकारियों के नाम और काम न करने की सूरत में उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई का ब्यौरा भी माँगा। सूचना के अधिकार वाला आवेदन देने के हफ्ते भर के अंदर खाद्य विभाग का एक इंस्पेक्टर उसके घर आया और उसने नन्नू को बताया कि तुम्हारा राशन कार्ड तैयार है और तुम दफ्तर आकर उसे ले जा सकते हो। अगले दिन जब नन्नू राशन कार्ड लेने गया तो उस इलाके के खाद्य और आपूर्ति विभाग के अगले सबसे बड़े अधिकारी ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। इस अधिकारी ने उसे चाय की पेशकश की और कहा कि अब आपका काम हो गया है इसलिए सूचना के अधिकार वाला अपना आवेदन आप वापस ले लें।
नन्नू का उदाहरण क्या बताता है? नन्नू के इस आवेदन का अधिकारियों पर क्या असर हुआ? अपने माँ पिताजी से पूछिए कि अपनी समस्याओं के लिए सरकारी कर्मचारियों के पास जाने का उनका अनुभव कैसा रहा है।
उत्तर: नन्नू का उदाहरण बताता है कि सूचना के अधिकार के लागू होने के बाद कोई भी व्यक्ति सरकार के कामकाज का हिसाब माँग सकता है। इस जानकारी से सरकारी दफ्तरों में सुस्त रफ्तार से काम करने की परिपाटी खत्म होने लगी है। नन्नू के आवेदन से अधिकारी हरकत में आ गये क्योंकि अब उन्हें देरी का कारण बताने के लिए बाध्य होना पड़ता। मेरे माता पिता का कहना है कि ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में समय पर कोई भी काम नहीं होता।
Extra Questions Answers
प्रश्न 1:लोकतंत्र का सबसे अहम परिणाम क्या हुआ है?
उत्तर: उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध शासन
प्रश्न 2:लोकतंत्र में अक्सर अहम फैसले लेने में देर होती है। क्यों?
उत्तर: लेकिन लोकतांत्रिक सरकार में आम सहमति बनाने की जरूरत पड़ती है इसलिए अहम फैसले लेने में देर होती है।
प्रश्न 3:लोकतंत्र में आम सहमति से जो फैसले लिये जाते हैं उनका क्या लाभ होता है?
उत्तर: लोकतंत्र में कोई भी फैसला आम सहमति से लिया जाता है। ऐसे फैसले वैध होते हैं क्योंकि वे जनता को मंजूर होते हैं। ऐसे फैसले वास्तव में लोगों की समस्या का समाधान करते हैं।
प्रश्न 4:लोकतांत्रिक सरकार किस तरह से पारदर्शी होती है?
उतर: लोकतांत्रिक सरकार अधिक पारदर्शी होती है। जनता के पास यह जानने का अधिकार होता है किस फैसले किन तरीकों से लिये गये या सरकार ने कोई कार्य कैसे किया।
प्रश्न 5:आप कैसे कह सकते हैं कि लोकतांत्रिक सरकार वैध होती है?
उत्तर: लोकतांत्रिक सरकार को लोगों द्वारा चुना जाता है इसलिए ऐसी सरकार वैध होती है।
प्रश्न 6:आर्थिक असमानता मिटाने में लोकतंत्र कहाँ तक सफल हो पाया है?
उत्तर: लोकतंत्र अधिकांश देशों में आर्थिक असमानता मिटाने में असफल ही रहा है।
प्रश्न 7:महिलाओं को समान अधिकार दिलवाने में लोकतंत्र की क्या भूमिका रही है?
उत्तर: लोकतंत्र के कारण ही यह संभव हो पाया है कि महिलाएँ समान अधिकारों के लिये संघर्ष कर पाईं। आज अधिकांश लोकतांत्रिक देशों की महिलाओं को समाज में बराबर का दर्जा मिला हुआ है। तानशाह देशों में आज भी महिलाओं को समान अधिकार नहीं प्राप्त हैं।
☆END☆
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