1.सत्ता की साझेदारी
जब किसी शासन व्यवस्था में हर सामाजिक समूह और समुदाय की भागीदारी सरकार में होती है तो इसे सत्ता की साझेदारी कहते हैं। लोकतंत्र का मूलमंत्र है सत्ता की साझेदारी। किसी भी लोकतांत्रिक सरकार में हर नागरिक का हिस्सा होता है। यह हिस्सा भागीदारी के द्वारा संभव हो पाता है। इस प्रकार की शासन व्यवस्था में नागरिकों को इस बात का अधिकार होता है कि शासन के तरीकों के बारे में उनसे सलाह ली जाये।
भारत में सत्ता की साझेदारी
भारत में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। यहाँ के नागरिक सीधे मताधिकार के माध्यम से अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं। लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि एक सरकार को चुनते हैं। इस तरह से एक चुनी हुई सरकार रोजमर्रा का शासन चलाती है और नये नियम बनाती है या पुराने नियमों और कानूनों में संशोधन करती है।
किसी भी लोकतंत्र में हर प्रकार की राजनैतिक शक्ति का स्रोत प्रजा होती है। यह लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है। ऐसी शासन व्यवस्था में लोग स्वराज की संस्थाओं के माध्यम से अपने आप पर शासन करते हैं। एक समुचित लोकतांत्रिक सरकार में समाज के विविध समूहों और मतों को उचित सम्मान दिया जाता है। जन नीतियों के निर्माण में हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है। इसलिए लोकतंत्र में यह जरूरी हो जाता है कि राजनैतिक सत्ता का बँटवारा अधिक से अधिक नागरिकों के बीच हो।
सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता
समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी जरूरी है। इससे विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव को कम करने में मदद मिलती है।
किसी भी समाज में बहुसंख्यक के आतंक का खतरा बना रहता है। बहुसंख्यक का आतंक न केवल अल्पसंख्यक समूह को तबाह करता है बल्कि स्वयं को भी तबाह करता है। सत्ता की साझेदारी के माध्यम से बहुसंख्यक के आतंक से बचा जा सकता है।
लोगों की आवाज ही लोकतांत्रिक सरकार की नींव बनाती है। इसलिये यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र की आत्मा का सम्मान रखने के लिए सत्ता की साझेदारी जरूरी है।
सत्ता की साझेदारी के दो कारण होते हैं। एक है समझदारी भरा कारण और दूसरा है नैतिक कारण। सत्ता की साझेदारी का समझदारी भरा कारण है समाज में टकराव और बहुसंख्यक के आतंक को रोकना। सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण है लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण रखना।
सत्ता की साझेदारी के रूप:
शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा:
- लोकतंत्र में शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा होता है। उदाहरण के लिए; विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा। इस प्रकार के बँटवारे में सत्ता के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं। इसलिए इस प्रकार के बँटवारे को क्षैतिज बँटवारा कहते हैं।
- शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता के बँटवारे से यह सुनिश्चित हो जाता है कि शासन के किसी भी एक अंग के पास असीमित शक्ति न हो। यह विभिन्न संस्थानों के बीच शक्ति के संतुलन को सुनिश्चित करता है।
- कार्यपालिका सत्ता का उपयोग करती है लेकिन वह संसद के अधीन होती है। संसद को कानून बनाने का अधिकार प्राप्त होता है लेकिन उसे जनता को जवाब देना होता है। न्यायपालिका इन दोनों से स्वतंत्र होती है। न्यायपालिका का काम होता है यह देखना कि विधायिका और कार्यपालिका सभी नियमों का सही ढ़ंग से पालन कर रही है या नहीं।
विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा:
भारत जैसे विशाल देश में सरकार चलाने के लिए यह जरूरी हो जाता है कि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो। भारत सरकार को दो मुख्य स्तरों में बाँटा गया है; केंद्र सरकार और राज्य सरकार। केंद्र सरकार पर पूरे राष्ट्र की जिम्मेदारी होती है। गणराज्य की विभिन्न इकाइयों की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर होती है। दोनों सरकारों के अधिकार क्षेत्र में अलग अलग विषय आते हैं। कुछ ऐसे विषय भी होते हैं जो साझा लिस्ट में रहते हैं और जिनपर राज्य और केंद्र सरकारों दोनों का अधिकार होता है।
सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा:
भारत विविधताओं से भरा देश है। यहाँ अनेक सामाजिक, भाषाई और जातीय समूह हैं। इन विभिन्न समूहों के बीच भी सत्ता का बँटवारा होता है। समाज के पिछड़े वर्गों को आरक्षण दिया जाता है ताकि सरकारी तंत्र में उनका सही प्रतिनिधित्व हो सके। उदाहरण के लिए; अल्पसंख्यक समुदाय, अन्य पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जाति और अनुसूचिक जनजाति के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्राप्त है।
विभिन्न प्रकार के दबाव समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा:
- सत्ता का बँटवारा विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के बीच होता है। सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी या सबसे बड़े राजनैतिक गठबंधन को शासन करने का मौका मिलता है। बची हुई पार्टियाँ विपक्ष का निर्माण करती हैं। विपक्ष का काम होता है यह सुनिश्चित करना कि सत्तारूढ़ पार्टी लोगों की इच्छा के अनुसार काम करे। विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के लोग विभिन्न कमेटियों के अध्यक्ष बनते हैं। यह राजनैतिक पार्टियो6 के बीच सत्ता की साझेदारी का एक अच्छा उदाहरण है।
- राजनैतिक पार्टियों के अलावा देश में कई दबाव समूह होते हैं। उदाहरण के लिए; एसोचैम, छात्र संगठन, मजदूर यूनियन, आदि। ऐसे संगठनों के प्रतिनिधि कई नीति निर्धारक अंगों के भाग बनते हैं। इस तरह से दबाव समूहों को भी सत्ता में साझेदारी मिलती है।
NCERT Solution
प्रश्न 1: आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें।
उत्तर:आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के निम्न तरीके हैं”
- सरकार विभिन्न अंगों के बीच सत्ता की साझेदारी: उदाहरण: विधायिका और कार्यपालिका के बीच सत्ता की साझेदारी।
- सरकार के विभिन्न स्तरों में सत्ता की साझेदारी: उदाहरण: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता की साझेदारी।
- सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी: उदाहरण: सरकारी नौकरियों में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण।
- दबाव समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी: नये श्रम कानून के निर्माण के समय ट्रेड यूनियन के रिप्रेजेंटेटिव से सलाह लेना।
प्रश्न 2: भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ।
उत्तर:युक्तिपरक कारण: सत्ता की साझेदारी से विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव कम करने में मदद मिलती है। इसलिये सामाजिक सौहार्द्र और शांति बनाए रखने के लिए सत्ता की साझेदारी जरूरी है। नैतिक कारण: लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण रखना।
प्रश्न 3: इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग अलग निष्कर्ष निकाले। आप इनमें से किससे सहमत हैं और क्यों? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें।
थम्मन: जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषायी और जातीय आधार पर विभाजन हो सिर्फ वहाँ सत्ता की साझेदारी जरूरी है।
मथाई: सत्ता की साझेदारी सिर्फ ऐसे बड़े देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजूद होते हैं।
औसेफ: हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है भली ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन न हों।
थम्मन: जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषायी और जातीय आधार पर विभाजन हो सिर्फ वहाँ सत्ता की साझेदारी जरूरी है।
मथाई: सत्ता की साझेदारी सिर्फ ऐसे बड़े देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजूद होते हैं।
औसेफ: हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है भली ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन न हों।
उत्तर: मैं औसेफ से सहमत हूँ। हम जानते हैं कि लोकतंत्र की मूल भावना है लोगों के हाथ में सत्ता देना। सत्ता की साझेदारी करके हम लोकतंत्र की मूल भावना का सम्मान करते हैं। यदि सत्ता की साझेदारी नहीं होती है तो सत्ता कुछ चुनिंदा हाथों तक ही सीमित रह जाती है। ऐसी स्थिति से तानाशाही का जन्म होता है जिससे लोकतंत्र की हत्या हो जाती है।
प्रश्न 4: बेल्जियम में ब्रूसेल्स के निकट स्थित शहर मर्चटेम के मेयर ने अपने यहाँ के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा कि इससे डच भाषा न बोलने वाले लोगों को इस फ्लेमिश शहर के लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह फैसला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें।
उत्तर: बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी के तहत डच भाषी और डच भाषा न बोलने वालों को बराबर की हिस्सेदारी दी गई है। ब्रूसेल्स की सरकार में फ्रेंच भाषी और डच भाषी लोगों में सत्ता का बराबर बँटवारा है। इससे पता चलता है कि दोनों समूहों में एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना है। इसलिये फ्रेंच भाषा वाले स्कूलों पर बैन लगाकर गलत किया है।
प्रश्न 5: नीचे दिए गए उद्धरण को गौर से पढ़ें और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो युक्तिपकर कारण बताए गए हैं उसमें से किसी एक का चुनाव करें।
“महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने और अपने संविधान निर्माताओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए हमें पंचायतों को अधिकार देने की जरूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में सौंपता है जिनके हाथों में इसे होना चाहिए। भ्रष्टाचार कम करने और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। जब विकास की योजनाओं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर उनका नियंत्रण बढ़ेगा। इससे भ्रष्ट बिचौलियों को खत्म किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को मजबूत करेगा।“
“महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने और अपने संविधान निर्माताओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए हमें पंचायतों को अधिकार देने की जरूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में सौंपता है जिनके हाथों में इसे होना चाहिए। भ्रष्टाचार कम करने और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। जब विकास की योजनाओं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर उनका नियंत्रण बढ़ेगा। इससे भ्रष्ट बिचौलियों को खत्म किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को मजबूत करेगा।“
उत्तर: इस उद्धरण में सरकार के विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी की बात की गई है जो सत्ता की साझेदारी का एक युक्तिपरक कारण है।
प्रश्न 6: सत्ता के बँटवारे के पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं। इनमें से जो तर्क सत्ता के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करें और नीचे दिए गए कोड से अपने उत्तर का चुनाव करें।
- विभिन्न समुदायों के बीच टकराव को कम करती है।
- पक्षपात का अंदेशा कम करती है।
- निर्णय लेने की प्रक्रिया को अटका देती है।
- विविधताओं को अपने में समेट लेती है।
- अस्थिरता और आपसी फूट को बढ़ाती है।
- सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है।
- देश की एकता को कमजोर करती है।
उत्तर: a, b, d, f
प्रश्न 7: बेल्जियम और श्रीलंका की सत्ता में साझेदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित बयानों पर विचार करें:
- बेल्जियम में डच भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया।
- सरकार की नीतियों ने सिंहली भाषी बहुसंख्यकों का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।
- अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसर के लिए श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढ़ाँचे पर बाँटने की माँग की।
- बेल्जियम में एकात्मक सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मुल्क को भाषा के आधार पर टूटने से बचा लिया गया।
ऊपर दिए गए बयानों में से कौन से सही हैं?
उत्तर: b, c और d
प्रश्न 8: निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
सूची 1 | सूची 2 |
---|---|
1. सरकार के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा | a) सामुदायिक सरकार |
2. विभिन्न स्तर की सरकारों के बीच अधिकारों का बँटवारा | b) अधिकारों का वितरण |
3. विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी | c) गठबंधन सरकार |
4. दो या अधिक दलों के बीच सत्ता की साझेदारी | d) संघीय सरकार |
उत्तर: 1 - b, 2 - d, 3 - a, 4 - c
प्रश्न 9: सत्ता की साझेदारी के बारे में निम्नलिखित दो बयानों पर गौर करें और नीचे दिए प्रश्न का जवाब दे:
- सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए लाभकर है।
- इससे सामाजिक समूहों में टकराव का अंदेशा घटता है।
इन बयानों में कौन सही है और कौन गलत?
उत्तर: दोनों बयान सही हैं।
Extra Questions Answers
प्रश्न 1: सत्ता की साझेदारी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: जब किसी शासन व्यवस्था में हर सामाजिक समूह और समुदाय की भागीदारी सरकार में होती है तो इसे सत्ता की साझेदारी कहते हैं।
प्रश्न 2: लोकतंत्र का मूलमंत्र क्या है?
उत्तर: सत्ता की साझेदारी
प्रश्न 3: भारत में सरकार का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर: भारत के नागरिक सीधे मताधिकार के माध्यम से अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं। लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि एक सरकार को चुनते हैं।
प्रश्न 4: भारत में चुनी हुई सरकार के मुख्य कार्य क्या होते हैं?
उत्तर: भारत में एक चुनी हुई सरकार रोजमर्रा का शासन चलाती है और नये नियम बनाती है या पुराने नियमों और कानूनों में संशोधन करती है।
प्रश्न 5: लोकतंत्र में यह क्यों आवश्यक होता है कि सत्ता का बँटवारा अधिक से अधिक लोगों के बीच हो?
उत्तर: किसी भी लोकतंत्र में हर प्रकार की राजनैतिक शक्ति का स्रोत प्रजा होती है। यह लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है। ऐसी शासन व्यवस्था में लोग स्वराज की संस्थाओं के माध्यम से अपने आप पर शासन करते हैं। एक समुचित लोकतांत्रिक सरकार में समाज के विविध समूहों और मतों को उचित सम्मान दिया जाता है। जन नीतियों के निर्माण में हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है। इसलिए लोकतंत्र में यह जरूरी हो जाता है कि राजनैतिक सत्ता का बँटवारा अधिक से अधिक नागरिकों के बीच हो।
प्रश्न 6: समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने में सत्ता की साझेदारी की क्या भूमिका है?
उत्तर: सत्ता की साझेदारी से विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव को कम करने में मदद मिलती है।
प्रश्न 7: सत्ता की साझेदारी के दो कारण कौन कौन से हैं?
उत्तर: सत्ता की साझेदारी के दो कारण होते हैं। एक है समझदारी भरा कारण और दूसरा है नैतिक कारण।
प्रश्न 8: सत्ता की साझेदारी के मुख्य रूप क्या हैं?
उत्तर: सत्ता की साझेदारी के मुख्य रूप निम्नलिखित हैं:
- शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा
- शासन के विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा
- सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा
- विभिन्न प्रकार के दबाव समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा
प्रश्न 9: न्यायपालिका का मुख्य कार्य क्या होता है?
उत्तर: न्यायपालिका का काम होता है यह देखना कि विधायिका और कार्यपालिका सभी नियमों का सही ढ़ंग से पालन कर रही है या नहीं।
प्रश्न 10: संसद का मुख्य काम क्या होता है?
उत्तर: नये कानून बनाना और पुराने कानूनों में संशोधन करना
☆END☆
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